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हबीब कोई।।...

Noted Nest

By Abhimanyu Bakshi



आसमान को दिखाया है मैंने उसका रक़ीब कोई,

बदलता है मौसम जैसे यहाँ पर हबीब कोई।


उसे नई ख़ुश्बूओं से मिले फ़ुरसत, मैं जाके उसे तब बताऊँ,

हो गया है उसके शहर का गुल-फ़रोश ग़रीब कोई।


नसीब आया सवाब से था वो भी किसी ज़माने में,

अब कर गया ता-उम्र के लिए मुझे बदनसीब कोई।


जो पास बैठकर भी मुझसे कोसों दूर ही होता है,

उसे कैसे कहूँ कि उसके सिवा मेरे नहीं क़रीब कोई।


मोहब्बत भरा इंसान क्यों महरूम है मोहब्बत से!

दानिश-मंद भी जानते नहीं ये मसला है अजीब कोई।


आँखें फेर ली आज उसने कभी पलकों पर रखता था,

मुझे भी सीखा जाता ऐसे बदलने की तरकीब कोई।


By Abhimanyu Bakshi



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8 comentários


Shikha Sachdeva
Shikha Sachdeva
11 de nov. de 2024

Wah wah

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TAMANNA BAKSHI
TAMANNA BAKSHI
10 de nov. de 2024

Proud of you 👏🤩

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Muskan Datta
Muskan Datta
10 de nov. de 2024

Good job! 👌🏻

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seema pahwa
seema pahwa
10 de nov. de 2024

Nice👌🏻👍

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Piyushgarment
10 de nov. de 2024

Nice line GBU abhi

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