By Sushma Vohra
जी हाँ, स्वस्थ मन और स्वस्थ जीवन सिक्के के हैड और टेल की तरह के है जो साथ है मूल्यवान है अन्यथा वो सिर्फ एक खोटा सिक्का है। स्वस्थ मन से ही स्वस्थ जीवन की कल्पना की जा सकती है। जीने को तो हर कोई जीता है परन्तु स्वस्थ रहकर जीने का मज़ा ही अलग है। और अगर मानसिक स्वास्थ्य पर बात करें तो जन मानुष को तीन वर्गों में बांटा गया है
स्वस्थ वर्ग :-
जो अपने जीवन से संतुष्ट है, भावनात्मक रूप से मन का संतुलन बनाते है, हर कठिनाई का सामने से सामना करते है, अपना लक्ष्य निर्धारित करते हैं।
समस्यामुक्त वर्ग
- जो दो चरम सीमाओं के बीच अपना जीवन यापन करते है अर्थात् अत्यंत पीड़ा में है, समस्याओं से का सामना करने में असमर्थ है परन्तु फिर भी रोजमर्रा के कामों को जैस रोजगार के लिए जाना, खाना खाना आदि करते है।
विकारयुक्त वर्ग ।-
जैसा कि नाम से ही संकेत मिलता है कि वे किसी भी समस्या का समाधान करने में असमर्थ है जिस कारण उन्हें हमेशा तनाव का सामना करना पड़ता है।
स्वस्थ मन स्वस्थ जीवन की कुंजी है। संतोषी जीवन पाने के लिए मन में संतोष चाहिए इसलिए आपको प्रसन्नचित रहना होगा, अपने मूल्यों के अनुसार जीना, अपनी सफलता पर घमंड न करना और दूसरे की सफललता पर जश्न मनाना होगा। जब आप दूसरों की भावनाओं का ध्यान रखेंगे तो आपको कभी भी एकाकीपन नहीं मिलेगा। आप स्वस्थ रिश्तों का निर्माण करोगे। आप जीवन में नई अनुभूतियों और विचारों का स्वागत क्योंगे। मनुष्य के गुण दोष उसके स्वभाव, आचरण से जाने जाते हैं। माता-पिता, अन्य के संपर्क से बच्चे के व्यक्तित्व का विकास होता है। उसके आत्मविश्वास, दूसरो के प्रति प्रेम भाव, साहस और स्वावलंबन में वृद्धि होती है। उसकी विचार धारा व्यवस्थित रूप से होती है जिसके फलस्वरूप वो जीवन के प्रति सुद्देश्यपूर्ण दार्शनिक दृष्टिकोण रखता है।
इसके विपरीत अस्वस्थ सब दशा में निराशा के अंधकार की तरफ बढ़ने लगते हैं। आप दूसरों के प्रति उदासीन होने लगते हो, जीवन में कुछ रुचिकर नहीं लगता जिससे आप मन के साथ-2 अपने स्वास्थ्य पर भी नियंत्रण नहीं रख पाते। लेकिन मनुष्य ठान ले तो क्या नहीं कर सकता मेरे पास कुछ सुझाव है ऐसे लोगो के लिए। इन्हें अपनाने से आपको स्वत: ही जीवनचर्या में अंतर नजर आएगा
1 अपनी भावनाओं के बारे में संवाद करे
अर्थात कोई भी जिस पर आपको पूर्ण विश्वास है उससे अपनी समस्या पर चर्चा करें, हल भी मिलेगा और मन भी हल्का होगा
2 मानसिक व्यायाम
आलोम-विलोम, सैर, योगा, प्राणायाम मे सब तो आवश्यक है ही साथ में कुछ देर ध्यान (meditation) लगाए ।
3 अच्छा आहार
अब खान-पान तो स्वस्थ शरीर के सब सुझावों से ऊपर है। अच्छा आहार आपकी धमनियों को शुद्ध करता है, स्क्त जितना शुद्ध होगा, मन और शरीर उतने ही स्वस्थ लेंगे।
4 एक ब्रेक ले
जब आप बहुत परेशान हो जाए, कुछ समझ न आए तो एक ब्रेक ले। अपने दिमाग को शांत करे, नीद ले। ऐसा करने से मन और दिमाग दोनों तंदरुस्त होंगे और ऐसा करने से शारीरिक उर्जा भी बढ़ेगी ।
5 एक डायरी रखे
अपने असफलता, अपनी निराशा, अपना लक्ष्य, अपने विचार, अपने सपने सब उसमें लिखे और नकारात्मक भावों को डायरी में उतार खुद को सकारात्मकता की और बढ़ाएं।
6 मानसिक स्वास्थ्य एप
ऐसे बहुत से एप है जो आपकी मानसिक स्थिति को सही करने का प्रयास करते है उनका प्रयोग करआप आत्मस्वीकृति और आत्मसुधार से एक अच्छा संतुलन बना सकते है। उम्मीदा निराशा को आशा में बदल सकते है। मन में आशा होगी तो मन स्वस्थ होगा। मन स्वस्थ होगा तो शरीर स्वस्थ होगा।
7 विनोदशीलता
विनोदशीलता आपके आस पास एक सकारात्मक माहौल बनाती है जिससे अपने कार्य में मनोयोग तल्लीनता की धारणाएं स्वतः ही पुष्ट होने लगी है । थोड़ी देर हंसिए और ऐसे लोगो से मिलिए जो आपको हंसाएं।
निष्कर्षतः - अच्छा मानसिक स्वास्थ्य केवल विमारी की अनुपस्थिति नहीं वल्कि यह आंतरिक शक्ति और मूल्यों की उपस्थिति भी है जो आपको आत्मविश्वासी और संतोषी बनाती है। स्वस्थ मन के लिए ध्यान, योग, और सकारात्मक सोच का महत्व है, जबकि स्वस्थ जीवन के लिए नियमित व्यायाम, सही आहार, और पर्याप्त आराम की आवश्यकता होती है।
By Sushma Vohra
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