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सोच रही होगी तुम ऐसा

By Surjeet Prajapati


सोच रही होगी तुम ऐसा

मैं जी लूंगा तुमसे बिछड़ के

पर सोचा मैं न हूँ वैसा

आवारा दिल है मेरा हटके

जी ना पाऊँगा मैं बिछड़ के

मर जाऊँगा में घुट-घुट के…….. 


मैं ठहरा आशिक हूँ पुराना

जानू तेरी नश-नश का तराना

तुमने खुद से दूर किया ना

चाहे बनाओ कोई बहाना

दिलबर से दिलबर न मिलाना

किस्मत का ये खेल पुराना


पर इस दिल में तेरा बसेरा

यादों का हर वक्त सवेरा

आँखे तेरा रुप दिखाती

दिल में इक तस्वीर बनाती


जब से दूर हुए हम और तुम

बस दिल रहता अब चुप-चुप है… 


सोच रही होगी तुम ऐसा

मैं जी लूँगा तुमसे बिछड़ के

पर सोचा मैं न हूँ वैसा

आवारा दिल है मेरा हट के

जी न पाऊँगा मैं बिछड़ के

मर जाऊँगा मैं घुट-घुट के...... 


तुम मुझको मेरी जान से बढ़ कर

मान लिया भगवान से बढ़ कर

अब क्या हम तुम दूर हैं ऐसे 

नदियों के को छोर हैं जैसे


प्यार तो है पर प्यार नहीं है

इक दूजे से रार नहीं है

जब भी पाऊँ तुमको पाऊँ 

कोई और स्वीकार नहीं है


यादों में तेरी हमदम मेरे 

अश्रु गिरें हैं हरदम मेरे

क्या रोती तुम भी छुप-छुप के

मर जाऊँगा मैं घुट-घुट के। 


सोच रही होगी तुम ऐसा

मैं जी लूंगा तुमसे बिछड़ के

पर सोचा मैं न हूँ वैसा

आवारा दिल है मेरा हटके

जी ना पाऊँगा मैं बिछड़ के

मर जाऊँगा में घुट-घुट के…….. 

By Surjeet Prajapati



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