By Lovekush
मैं एक सूखा कुंआ सा, सारी उम्र बारिश की तलाश में रहा, पर मुझको बारिश नसीब न हुई। खत्म हो गई मेरी आरज़ू, और चाहत मेरी मर गई । तभी...,
एक रोज़ एक नदी मुझमें आकर मिली , मेरे वर्षों के सूखेपन को सोख , खुद मुझमें विलीन हो गई । अब मुझको आश नहीं बारिश की , मैं खुश हूं अपनी नदी के आगमन पर।
By Lovekush
Comentarios