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Noted Nest

सुनहरी धूल

By Sansha Mishra



“ए भोले ! बरसात में ‘ फगुनिया की गुफा ’ के पास मत जा रे, उसके रोनेकी आवाज़ आती है।” 

“क्यों माई?” 

“चुप कर ! जितना कहूँउतना कर, वरना उसका भूत तेरा कलेजा काट खाएगा।”  

पुलिया के उस पार, गाँव सेलगभग ३० कोस दूर बड़ा पुराना सा एक टूटा, मटमैला साइन बोर्डथा। धूल की परतेंउस इलाक़े के कई राज छुपाती थीं। और धूल भी कोई ऐरी-गैरी नहीं साहब, ‘सुनहरी धूल’। सूरज की रोशनी मेंपैरों तलेमानो एक-एक कतरा विशुद्ध माया। कु छ लोग कहतेकी एक तोला धूल की क़ीमत लगभग खरेसोनेजितनी है। बात ग़लत भी नहीं, आख़िर उस जगह के ठेके दार बाबूऐम्बैसडर सेउतरते, सफ़ेद क़मीज़, सफ़ेद पतलून, कालेजूते, कालेचश्मेऔर कलाई पर चमचमाती सुनहरी घड़ी। उनकी कार उस धूल को उड़ाती चली जाती। 

“इन जाहिल गाँव-वालों ने ‘फगुनिया की गुफा’ का ख़ौफ़ फै ला रखा है, वरना वहाँकु छ है नहीं।” 

पर्मिट ग्रांट होनेके बाद कु छ बाशिंदों के घर क्या टूट गए, हरामियों नेभूतिया कहानी बना डाली साहब, आप चिंता मत करिए, खुदाई कल सेशुरू हो जाएगी।”, ठेके दार बाबूके अर्दली नेखिसियातेहुए कहा। ठेके दार बाबूसर हिलाकर गाड़ी मेंबैठ चल पड़े। 

दूर छिपा नालायक भोलेयह सब देख-सुन रहा था। “देखूँतो कौन आता है” सोच कर आगे बढ़ा गुफा तक। माई ठीक कहती थी, बारिश मेंगुफा पास आनेवालेको निगल जाती है। 

न जानेभोलेकहाँगया ? आजकल दिखता ही नहीं, बिलखती उसकी माँहर पल सिर्फ़ ‘फगुनिया की गुफा’,’फगुनिया की गुफा’ बड़बड़ाती रहती है। बाँवली बेचारी।

पर इससेक्या ? ठेके दार बाबूतो आज भी अपनेसुनहरी घड़ी सेगाँव के सभी लोगों का समय तय कर रहेहैं। और उस ही गाँव-भर मेंउड़ती इस धूल नेगुफा की अनगिनत चीखें, माई की सिसकियों और कई मासूम किलकारियों को दफ़ना दिया है। 

सही कहा था किसी ने, इस धूल की क़ीमत और चमक दोनों ही बड़ी महँगी हैं।  प्रेरणा- माइका की खदानों मेंप्रचलित बाल मज़दूरी।


By Sansha Mishra



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33 Comments


बहुत ही अच्छा लिखी हो ऑलिव... बहुत ही बढियां... 👌🏼👌🏼👌🏼👌🏻👌🏼👍🏻👍🏻👍🏻

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It is the preciseness of your observations that strikes me the most, Sansha. ठेके दार बाबूतो आज भी अपनेसुनहरी घड़ी सेगाँव के सभी लोगों का समय तय कर रहेहैं। In one sentence you have successfully represented years of suppression. I hope that you you nurture and pursue this ability to use words in such powerful ways to uncover such unjust practices. Bravo!

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Beautifully penned sansha . Waiting for you to write scripts for ott . Your command over hindi language is amazing. Feels so proud ro be associated with you such a talented soul . Keep up super work . Looking forward for more . Really intrigued what next .

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ninad005
Oct 04

Wonderfully written... 👌👌👌

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By getting into the heart of this issue with powerful language and expressions emoted by descriptive characters.. this is a brilliant piece of a story written by a budding visualist! Bravo. This explains the underlying issue of child labor which has eaten the country from inside.

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