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रोती मुस्कान

By Atulyaa Vidushi



पंछी था मन उसका दिल था कुछ मुसाफिर सा, कहता था समझता नहीं कुछ पर था हर बात से वाकिफ़ सा।


मुस्कान लाता वो सबके चेहरे पर खुद अँधेरो में रोता था।

 सबको प्यार बाट कर वो खुद में खुद को खोता था।


भूल के दुनिया भर की बातें थोड़ा रो के सोता था, 

 सुबह उठ कर फिर से वो खुशियों के तार पिरोता था।

कहता था अपनी बातें कभी तो कोई ना उसकी  सुना करे ,सोच लेता था फिर वो क्यू ना खुद ही जा मारे।


नही मरा वो याद करके कुछ लोगो को क्या फायदा उसकी अच्छाई का थोड़ा उसकी भी बात सुनो तो ,

समझो थोड़ा उसको क्या वो सोचता कहता है क्या हर खुशहाल दिखने वाला सच में खुश रहता है ।


सुन लो उसकी भी बातें शायद मिले उसे भी राहत ,

उसको भी पहचान लो जरा जो पहचान चुका पैरों की आहट;

नहीं सुनोगे, नहीं समझोगे खो दोगे उसको ऐसे ही

 जब तक साथ हो उसके तुम समझो उसको कुछ वैसा भी।


ना रहेगा तो कमी खलीगी,

 शायद कुछ खुशियां फिर नहीं मिलेंगी।


याद करके भी लौटेगा नहीं वो, 

जान देके भी लौटेगा नहीं वो।


समय रहते जान लो और हर हंसते को खुश तुम यु ना मान लो 

क्योंकि 

पंछी था मन उसका दिल था कुछ मुसाफिर सा।

कहता था समझता नहीं कुछ पर था हर बात से वाकिफ सा ।।


By Atulyaa Vidushi



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3 Comments


ANSH CHOPRA
ANSH CHOPRA
Nov 06, 2024

👏👏👏

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Parth Shri
Parth Shri
Nov 06, 2024

👏🏻👏🏻👏🏻

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Krish Singh
Krish Singh
Nov 06, 2024

❤️👏

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