top of page
Noted Nest

मेरी कलम

By Saddam Khan



उसकी चाहत नहीं छोड़ता।।

मैं इबादत नहीं छोड़ता।।

मैं बहाने बनाता रहूं,

अपनी आदत नहीं छोड़ता।।

हां मुझे गम से फुर्सत नहीं,

फ़िर भी ग़ैरत नहीं छोड़ता।।

मेरी कोई खता भी नहीं,

वो कराहत नहीं छोड़ता।।

अब न दिल मेरा लगता कहीं,

क्यूं सियाहत नहीं छोड़ता।।


By Saddam Khan



0 views0 comments

Recent Posts

See All

Khamoshi

By Faheed Amin Khamoshi se dosti kar baitha tha kabhi Aaj wohi khamoshi sehaar nahi jaati Jitni baatein thi, sab aankhon mein chhupi thi...

Kafile

उतरी मैं तेरी खामोश

By Dasi Ashu Aka Harsha Soni उतरी मैं तेरी खामोश दिल की गहराई में सन्नाटा अंधेरे के साथ तेरी साँसे बिखरी पड़ी मिली By Dasi Ashu Aka...

Comments


bottom of page