By Saddam Khan
उसकी चाहत नहीं छोड़ता।।
मैं इबादत नहीं छोड़ता।।
मैं बहाने बनाता रहूं,
अपनी आदत नहीं छोड़ता।।
हां मुझे गम से फुर्सत नहीं,
फ़िर भी ग़ैरत नहीं छोड़ता।।
मेरी कोई खता भी नहीं,
वो कराहत नहीं छोड़ता।।
अब न दिल मेरा लगता कहीं,
क्यूं सियाहत नहीं छोड़ता।।
By Saddam Khan
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