By Abhimanyu Bakshi
(भूलियेगा नहीं, जब अगस्त 2024 में इंसानियत की हत्या हुई थी…)
अब मंदिरों से बुत हटवा दीजिए,
उनकी जगह धन-दौलत रखवा दीजिए।
खबरें दिल का दौरा दे सकती हैं,
अख़बार में चेतावनी छपवा दीजिए।
इंसाफ़ जनाज़े के बाद ही मिल सकता है,
सभी मासूमों को इत्तिला करवा दीजिए।
लड़ाई औरत-मर्द की है ही नहीं,
ज़ेहन बिगड़ गए हैं बदलवा दीजिए।
टूटे सितारों को भी इस माहौल से बचना होगा,
कुल कायनात में ये खबर भिजवा दीजिए।
हैवान, कातिल, दरिंदे सरे-आम ज़िंदा हैं,
आप इंसानियत की ही कब्र खुदवा दीजिए।
ख़ुदा भी कोने में बैठा है परेशान होकर,
किसी तरह उसके आंसू रुकवा दीजिए।।…
By Abhimanyu Bakshi
Wah kya bat hai
Very impressive! 🙌🏻👌🏻
Awesome
Nice 👏
Awesome poetry😘