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Noted Nest

बरसाती बंदे

By Shivansh Soni



यह जो बूंदें बरस रही है आसमान से 

कभी रहती थी यही धरती पर 

जिन्हें प्रकृति में झूमता देख कर 

आसमां ने अपने पास बुला लिया 

मगर नादान था वोह आसमान 

अनजान था इन कोमल बूंदों के वजन से 

जिन्हें समा के खुद में

वोह बोझ उनका ना संभाल पाया 

और बरस पैड़ी यह बूंदें फिर धरती पर 

इस सूखी धरती को फिर गिला कर 

अब झूम रही हैं खुशी से फिर धरती पर


By Shivansh Soni



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