top of page
Noted Nest

पेड़ों को नुकसान क्यों

By Jai Kishor Mandal



हम अपनी जरूरतों के लिए कितने स्वार्थी हो गए हैं,

हमने अपने घर बनाने के लिए कितने पेड़ काट डाले हैं।


कोई हैं जो पेड़ों के नुकसान को रोक सकता हैं, 

कोई अपनी जरूरतों के लिए इतना कैसे गिर सकता हैं।


हमने अपनी खुशी के लिए कई पेड़ काट डालें हैं,

हमने विकास की चाह में कई जंगले नष्ट कर डालें हैं।


विकास और तरक्की की चाह में ये सब क्या हो रहा है,

मानों हर देश में पेड़-पौधों का शोषण हो रहा हैं।


पेड़-पौधों का ऐसे कैसे शोषण हो सकता हैं,

कोई इतना निर्दय कैसे हो सकता हैं।


हमें पर्यावरण के साथ कभी खिलवाड़ नहीं करना चाहिए,

हमारी साँसें इस पर निर्भर हैं, हमें इसका ख्याल रखना चाहिए।


आगे बढ़ने की चाह में हमने कई नदियों पर बाँध बना दिए,

यह प्रकृति के साथ खिलवाड़ है और हमने नदियों के प्रवाह को बदल दिए।


इस धरती की खूबसूरती का ठीक से हम ख्याल नहीं रख पाए,

हमने प्रकृति से प्यार तो किया पर उसे दिल से नहीं रख पाए।


हम सिर्फ़ अपनी ज़रूरतों की बात करते रहें हैं,

और जलवायु को नुकसान पहुँचाते रहते हैं।


आज इतना धुआँ क्यों है,

सुना है कि ओजोन परत में छेद हैं।


था जहाँ कभी हरियाली बहुत,

सुख गया हैं वो जमीन आज बहुत।


भविष्य में जलवायु और खराब हैं,

क्या किसी के मन में कोई विचार हैं।



पेड़-पौधें और जंगल का ये विनाश कैसा हैं,

दिल में जब प्रेम इतना तो इनको ये नुकसान कैसा।



मानवता की यह बहुत बड़ी भूल हैं,

भविष्य की पीढ़ियों पर खतरा बहुत हैं।


अब तो जग जा हे मानव और कितना नुकसान करेगा,

कब तक अपने बारे में सोचता रहेगा आगे भविष्य में क्या होगा। 


है कोई जो पेड़ों की इस कटाई को रोक सकें,

कौन हैं जो इस पर्यावरण को हरा-भरा बना सकें।


अपना ले प्रकृति की इस सुंदरता को,

कटे पेड़ जहाँ एक वहाँ तू लगा हज़ार पेड़ों को।


विकास के नाम पर प्रकृति का इतना दोहन क्यों, 

पैसों के लिए इतने पेड़ों की कटाई क्यों। 


यह चाहत हर किसी के दिल में होनी चाहिए, 

यह धरती शुद्ध सुंदर और अच्छी होनी चाहिए। 


क्या कोई है जो पेड़ों के विनाश को रोक सकता है,

 जो बड़ी मात्रा में वन विकसित कर सकता है। 


अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई संगठन हैं, 

वे अपने स्तर पर लोगों को जागरूक कर रहे हैं।


यह विभिन्न देशों का एक अंतरराष्ट्रीय केंद्र है,

 हर साल सम्मेलन होते हैं, लेकिन बाकी दिनों में सब कहाँ होते हैं।



फाइलें बनाने से पर्यावरण को बचाया नहीं जा सकता हैं, 

दिल में हो प्रेम तो कई पेड़ लगाया जा सकता हैं।


चाहे हम कितनी भी बैठके कर लें,

पर्यावरण सिर्फ नियम लिखने से बचाया नहीं जा सकता। 


हमें मिलकर लाखों पेड़ लगाने होंगे, 

तब हम इस दुनिया को हरियाली से भरा हुआ पाएंगे।


 

सिर्फ पेड़ लगाने से काम नहीं चलेगा,

उन्हें दिल से बच्चे मानना ​​होगा। 


क्या कोई है जो पेड़ के विनाश को रोक सकता है,

जो दिल से धरती की खूबसूरती को प्यार करेगा।


क्या हो गया है इस मानव समाज को,

लगता है भूल गए है पेड़-पौधों की सुन्दरता को।


आज से प्रण हो सबका यह अपना,

हरा-भरा हो यह पृथ्वी यह अपना।


बनाना हैं खूब हरियाली इसे हमें,

चाहें इसके लिए देना पड़े बलिदान हमें।


खूबसूरत रतन हैं पेड़-पौधें ये अपने,

दिल से लगा के रखना हैं हमें इसे अपने।


जितना हो सकें इन पेड़-पौधों को लगाना हैं,

अपना बच्चा समझ कर इसका पालन करना हैं।


By Jai Kishor Mandal



1 view0 comments

Recent Posts

See All

Rain Drops

By Farinu Rain O Rain  As your drops met my eyes  You remind my past time Sitting in my couch  I see you fall from the sky  Your...

Clothes

By Snigdha Synchronizing with the current scenario of the society I've written this piece for every woman who faces these horrors every...

Commentaires


bottom of page