By Vandana Singh Vasvani
सुना तो होगा आप सभी ने बनारस की वो मशहूर गाने या फिर बनारस की गलियां।
बनारस की पुरानी गली और पुरानी वो चाय की दुकान,धन्नू दादा की।
कभी जो धनु दादा के बाल काले बादल हुआ करते थे अब चांदी के चमक में परिवर्तित हो गए है। आज सुबह 7:00 बजे हैं धन्नू दादा के चाय के उस दुकान में बेंच पे कोई आकर बैठ गया अच्छा खासा सूट बूट पहना था।
आंखो पे कोई चश्मा लगा हुआ था और चेहरा जाना पहचाना सा ऐसा लग रहा है। धन्नू दादा ने पास जाकर पूछा तुम यहीं के रहने वाले हो बबुआ ? सूटबूट वाला बबुआ चश्मा उतारकर उनको देखता है और दोनों हाथ जोड़कर बोलता है हर हर महादेव दादा।
और उनकी बूढ़ी आँखों ने तुरंत पहचान लिया कि ये तो अपना आनंद है जो चाय के दुकान से कांच के बर्नी से बिस्कुट चुरा कर भागा करता था ।
उधर दूसरी ओर रेलवे स्टेशन पे एक जनाब उतरते हैं ट्रेन से। अपने बालों में हाथ फेरते हुए और अपने कंधे पर शॉल को अच्छे से रखते हुए आर्यन मुस्कुराते हुए बाहें फैलाकर बनारस को अपनी दिल में समेट रहा था।
ये कहानी है और चार दोस्तों की जो हलचल महल कॉलोनी में शहर बनारस में रहते थे।
चारों साथ साथ ही बड़े हो रहे थे इसीलिए पक्के वाले एकदम कट्टी बट्टी वाले जिगरी दोस्त है।
एक टैक्सी आकर सीधा हलचल महल की कॉलोनी में आकर रुकती है, उसी टैक्सी से ब्लू जीन्स और व्हाइट शर्ट में एक दम बिंदास स्टाइल का लड़का उतरता है।ब्लू जीन्स वाले आदित्य सीधा चाय की दुकान की तरफ भागता हैं।
आज तो बनारस में एक अलग ही रौनक हलचल मची हुई है । चाय की दुकान पे तीन जिगरी यार हाथ मिला रहे हैं और तीनों की आंखें किसी चौथे के इंतजार में ताक झांक भी कर रही है।
तीनों दोस्त अभी हाथों को अच्छे से मिला ही रहे थे की दिव्य भान ज़ोर से पकड़ लेता है तीनो को।
चारो भी एक साथ बोल पड़ते हैं अरे ये तेरे बालों को क्या हुआ , अच्छा तो तुझे चश्मा लग गया , तू तो सूट बूट वाला बन गया।
आनंद आर्यन के कंधे पर हाथ रखता है और बोलता है अरे यार आर्यन बच्चे क्या कर रहे हैं तेरे क्या तुमने उन्हें विदेश भेज दिया है पढ़ने के लिए ? इतने में आर्यन बोलता है अरे भाई आज हम दोस्तों की बात होगी ना कोई जिम्मेदारी की बात होगी ना परिवार के ना ही अपने अपने कामयाबी की।
हम बरसों बाद मिले है आज - जानें जिंदगी फिर कब यह मौका हमें दे ।
आनंद बोलता है कहाँ से कहाँ चले गए न यार याद है हम दिनभर में तीन बार इस दुकान पर आकर बैठते थे ।
कितनी सरल और सहज सी जिंदगी थी ना। नो किसी की डांट का असर होता था न मान सम्मान का भय था ।
थी तो केवल खुशियाँ .................
आर्यन बीच में ही टोकते हुए बोलता है – यार वो भी क्या दिन थे हम सब यही कहा करते थे ना कि हम जैसी चाहेंगे जिंदगी जीएंगे । हम अपनी जिंदगी को सामाजीकरण की आँखों का असर नहीं होने देंगे ।
लेकिन कितनी झूठी थी बातें हमारी । आज हम चारों पिछले 4 साल से कोशिश कर रहे हैं की अपने सबसे प्यारी जगह पे आकर बस 1 दिन गुजारे । और अब जाके हमे वो अवसर प्राप्त हुआ है ।
लंबी सांस लेते हुए आदित्य बोलता है – guys sometimes I feel I am a Atm card for my family ? आदित्य के इस बात से मानो सन्नाटा छा गया था कितने सवाल चारों के मन में हलचल मचाने लगे थे।
इसी बीच धन्नू दादा उनकी कटिंग वाली चाय लेकर आ जाते हैं।
चारों दोस्तों के बीच मौजूदा जिंदगी से जुड़े गंभीर मुद्दों पर बात होनी शुरू हो जाती है। और चारों दोस्तों के बीच जो अहम मुद्दा था वो नीचे इस प्रकार से :-
Family value
Luxurious life
Inner peace
Bonding and planning for future
बस..... आर्यन को यह सब बातें बहुत ही बोरिंग लग रही थी तो वो बोला बस करो तुम सब क्या लेके बैठे हो यार ये पालतू की बात है ।
याद करो वो समय जब बनारस की गलियों में हम रात रात तक आवारापन करते थे घूमते थे घर में झूठ बोलकर क्या क्या मस्तियां क्या करते थे।
आज चारो दोस्त मिल कर आज के पूरे दिन का रूल बनाते हैं हम वो सब काम करेंगे जो हम पहले किया करते थे । आज का ये दिन हम चारों के अपनी मर्जी से जियेंगे। हम लौटकर तो वापस अपनी अपनी जिंदगी में जाएंगे ही कम से कम अरे आज का पूरा दिन थोड़ा आवारापन हो जाए ।
चारों मिलकर ज़ोर से चिल्लाते हैं अब आवारा और बनारस की गलियां हमारी हैं । इतने में चाय वाले दादा आते हैं अच्छा तो तुम चारों मिले हो तुम मुझे भूल गए क्योंकि मैं बूढ़ा हो गया हूँ? ज़रा याद करो कितना तंग करते थे तुम सब मुझे और मैं फिर भी तुम लोग को चाय बिस्किट समोसे खिलाता रहा। तभी आदित्य आनंद को चुटकी लेते हुए कहता है और वो अब भी याद है तुझे या तू भूल गया है ? सही है लेकिन आनंद चौक कर बोलता है – तुम किसकी बात कर रहे हो ? अरे वही जिसके खत पहुंचाने में हमें पोस्टमैन बनाया जाता था । अच्छा तो तुम परिणीता की बात कर रहे हो जिसकी नाक पे हरदम गुस्सा और नखरा तैनात रहता था। कितनी पागल थी ना वो सपनों की दुनिया में रहती थी। अच्छा वो दिन याद है तुम लोगो को ? जब हम कॉलेज में आखिरी दिन मिले थे। जब हम सभी एक दूसरे से जुदा हो रहे थे इस वादे के साथ कि हम सब अपनी अपनी रिटायरमेंट से पहले बनारस में ही चार कमरों का घर बनाएंगे सॉरी सॉरी पां च कमरों का । चारों एक साथ लंबी सांस लेते हैं।
एक कमरा एक्स्ट्रा इसलिए जाने कब कौन मुसाफिर दोस्तों के रूप में आ जाए ।
आदित्य उठकर खड़ा हो जाता है और चार कदम बढ़ते हुए बोलता है – यार वो दिन ही कितने अच्छे थे कम से कम सपने भी सच तो लगा करते थे। ये कहने से ही सुकून मिल जाता था कि कॉलेज खत्म करके हम अपनी तरह से जिंदगी जीएंगे। अपनी जिंदगी को अपने सपनों से सजाएंगे ।
आर्यन मुस्कुराते हुए कहता है पीछे मुड़कर देखता हूँ तो लगता है हर ख्वाब में कई ख्वाब का दम तोड़ा है अब जा के संभले है तो जिंदगी ही अपनी ना रही । क्या इस जिंदगी को हमने चुना है पढ़ाई करने तक तो ठीक था नौकरी अपने मनचाही मिलना भी ठीक था लेकिन सही वक्त पे शादी कर लेना सही वक्त पे बच्चे होना ।
आनंद बोलता है यार आज तक समझ नहीं पाया ये सही वक्त का मापदंड किस ग्रंथ में है। इंसान अपनी जिंदगी को क्या आपने तरीके से थोड़ा बहुत भी नहीं जी सकता ?
आदित्य बोलता है- मैं हमेशा से चाहता था एक दूर पहाड़ी किसी शहर में वहाँ बच्चों को पढ़ाने का काम करूँगा । लेकिन ज़िंदगी कहा से कहा ले कर आ गयी।
मैं वो काम करता हूँ जो मैं कभी नहीं करना चाहता था यानी Corporate World वे काम काम करना। शादी के बाद मैं कम से कम 5 साल तक कोई बच्चा नहीं चाहता था । लेकिन मेरे माँ बापू जी को और मेरी वाइफ नुपुर को समय पर ही बच्चा चाहिए था । सच में यार इस सही वक्त ने तो हमारी खुशियों की भट्टी बना दी ।
दिव्य इस गंभीर चर्चा को थोड़ा खुशनुमा करता है – अरे कोई मेरी भी सुनेगा सब अपने ही कहे जा रहे हो। तुम सब की लाइफ सेटल है फिर भी शिकायत कर रहे हो, मुझे देख लो कल भी आवारा था आज भी आवारा।
जीवन में जिसे सबसे ज्यादा प्यार किया उसको मैं ही पसंद नहीं आया । और आज तक मैं कंवरा हूँ। इतने में ही आनंद , आर्यन और आदित्य हंसते हुए बोलते हैं 900 चूहे खाकर बिल्ली हज को चली। तेरी तो इतनी गर्लफ्रेंड्स रही है की पूरी की पूरी एक किताब बन सकती है। देखो यार जिंदगी है और पता नहीं फिर मिले ना मिले अब जो भी है ज़िंदगी से तो इश्क करना ही होता है।
माना की जिंदगी थोड़ी बेवफा सी है लेकिन इसी जिंदगी की वजह से हम साथ साथ हैं।
चारों दोस्तों में आनंद सबसे बड़ा था और सबसे छोटा था दिव्य। लेकिन आज मानो उम्र के इस पड़ाव पर आनंद छोटा बन गया हो । अरे यार चलो छोड़ो इन बातों को , वो करते हैं जो हम करके बहुत खुश हुआ करते थे । मतलब इस चाय की दुकान से बनारस की पुरानी गली तक रेस लगाएंगे।
और हमेशा की तरह जो जीत जाएगा वो चाय के साथ मक्खन और ब्रेड भी खिलाएगा।
फिर क्या था दादा अपने एक अच्छे इन्हें दौड़ने का ग्रीन सिग्नल पास करते है – चारों दोस्त इतना तेज़ दौड़ जाते हैं मानो हवा से बातें कर रहे हो। इस बार लेकिन चारों दोस्त एक साथ एक ही समय पर पुरानी गली में पहुँच जाते हैं । हांफते हांफते दिव्या बोलता है ओह भाई ये तो बहुत बड़ा लोचा हो गया हम सब जीत गए तो अब चाय के साथ बटर ब्रेड कौन खिलाएगा। आनंद हफ्ते हफ्ते बोलता है मैं खिलाऊंगा । वापस धन्नू दादा के दुकान पर चारों पहुँच जाते हैं ।
दादा जल्दी से चार चाय और चार ब्रेड बटर की प्लेट लगा दो। ठीक स्कूल और कॉलेज की तरह आज भी चारों दोस्त बड़े चाव से ब्रेड बटर और चाय का लुत्फ उठा रहे थे।
दिव्य चाय पीते पीते बोलता है –क्या हम सब आज यहाँ एक कमिटमेंट कर सकते हैं । चाहे हमारी जिंदगी में कितने भी उतार चढ़ाव क्यों ना आ जाए जाए , हम साल में एक बार पूरे 10 दिन की छुट्टी निकालकर पूरी दुनिया में घूमेंगे । ऐसा नहीं है कि मैं बजट के बारे में नहीं सोच रहा हूँ हम सभी अपने पूरे परिवार के लिए ,बच्चों के लिए इन्वेस्टमेंट करते हैं।
ठीक उसी तरह से अपनी दोस्ती पे भी कुछ खर्च तो कर ही सकते हैं तो पूरे साल का बजट बनाएंगे और यारो पूरी दुनिया साथ में घूमेंगे ।
अपने अपने बच्चों को धर्म पत्नी को आपको समझाना होगा की लाइफ में दोस्त महत्वपूर्ण होते हैं। और जब दोस्त के साथ कहीं ट्रिप पे जाते हैं तो परिवार को शामिल नहीं करते। दोस्तों के साथ एक अलग दुनिया होती है और पारिवारिक जीवन से कभी कभी ब्रेक लेकर दोस्तों के साथ घूमना - विचार और मन को एक ऊर्जा प्रदान करना ही होता है ।
और हाँ हमारा जो वाट्सएप ग्रुप है उसमें हम रोज़ गुड नाइट गुड मॉर्निंग भले न बोले लेकिन जब भी हम बहुत परेशान होंगे तो अपनी परेशानी उसमें लिखेंगे। हम चारों को एक साथ एक video conference करनी होगी जिससे की बात करके परेशान दोस्त की परेशानी थोड़ी तो कम होगी ।
ये सारी बात सुनने के बाद आनंद बोलता है अरे वाह छोटा बम बड़ा धमाका । तुम्हारी बात बिलकुल सही है, वैसे तो इस जिंदगी के कर्मकांड में हम एक दूसरे को समय ही नहीं दे पाएंगे । लेकिन अगर हम यह कमिटमेंट कर ले तो साल के 10 दिन हम वो करेंगे जो हम बिना चिंता के बिना किसी सोच के कर सकते । और शायद हमारी खुद की जिंदगी में से कुछ समय हमारी दोस्ती के नाम तो कर ही सकते हैं ।
आदित्य आगे बढ़ता है और आनंद को गले लगाकर बोलता है थैंक यू यार मैं थोड़ा इमोशनल हो रहा हूँ। मुझे मेरे बच्चों से या मेरी धर्म पत्नी से वो प्यार वो सम्मान नहीं मिलता जिसकी आशा मैं करता हूँ । लेकिन आज तुम लोगों से मिल के पुराने दिन ही याद नहीं आए पुराना आदित्य भी अंदर से बहुत खुश हो रहा है ।
बस आर्यन बोलता है गाइस – क्या हम केवल घर के Financial management के लिए है ?
सबके भावनाओं का ज़रूरतों का ख्याल रखते हैं लेकिन जज्बात और दिल हम मर्दों के पास भी तो होता है इसे कहाँ ले जाए । ये जो रूटीन लाइफ है ना यह मुझे कभी कभी बुरी तरह से चिढ़ाती है । मानव कहती है की मैं चाबी वाला गुड्डा हूँ और परिवार द्वारा चाबी भरी जाने पे बस उनके अनुसार ही इधर से उधर नाचता हूँ । मैं यह नहीं कह रहा हूँ की परिवार जरूरी नहीं है और परिवार की देखरेख करना उनके हर जरूरत को पूरा करने हमारा कर्तव्य है लेकिन जब एक व्यक्ति खुद खुश रहेगा तभी तो परिवार को खुशहाल रख पाएगा ? हम अगर खुद का ख्याल रखेंगे खुद की दिल वाली खुशियों को थोड़ा सा महत्त्व देगी तो शायद हम उम्र से पहले बुड्ढे नहीं होंगे और जिंदगी काटने के बजाय जिंदगी खुलकर जियेंगे ।
आदित्य बोलता है यार मैं हार्ट सर्जन हूँ लेकिन मैं जानता हूँ की दिल जब दुखी होता है तो पूरी तरह से उसके मन विचार काम करना बंद कर देता है।
चारों दोस्त हाथ पे हाथ रखते हैं और वचनबद्ध होते की हम सुख दुख सब साझा करेंगे।और हम चारों एक दूसरे का साथ कभी नहीं छोड़ेंगे हम एक दूसरे के उतार चढ़ाव के एक दूसरे की खूब मदद करेंगे ।
रात पूरी तरह से मध्यता के बीच पहुँच गई थी , और चारो दोस्त होटल के कमरे में खूब मस्ती करते हुए पुरानी बातों को याद करके खुश हो रहे थे।
तो कैसा लगा यह आप लोगों को? है ना दोस्ती दिलवाले इश्क। दोस्ती बहुत जरूरी है और दोस्तों को एक साथ समय बिताना भी उतना ही जरूरी है।
तो दोस्त बनाते रहिये और दोस्ती निभाते रहिए पॉलिस्टर
By Vandana Singh Vasvani
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