By Shikha Kumari
ओ नारी, जो दूसरों का जीवन सँवारती हो,
कभी अपने जीवन को भी कुछ मूल्य दे दो।
जो हर किसी के सपनों का भार उठाती हो,
कभी अपने सपनों को भी आकार दे दो।
जो दूसरों का हर पल ख्याल रखती हो,
कभी एक पल भी खुद को प्यार दे दो।
ओ नारी, जो दूसरों का जीवन सँवारती हो,
कभी अपने जीवन को भी कुछ मूल्य दे दो।
तुम हो मासूम, पर ऊर्जा का रूप हो,
तुम हो सरल, पर जीवन का स्रोत हो।
तुम हो भोली, मगर शक्ति तुम ही से है,
तुम हो पावन, और भक्ति भी तुम ही से है।
पहचान कर भी खुद को तू क्यों है अनजान,
बहुमूल्य है जीवन तेरा, कुछ तो मूल्य दे दो।
ओ नारी, जो दूसरों का जीवन सँवारती हो,
कभी अपने जीवन को भी कुछ मूल्य दे दो।
तू है तो जीवन का अर्थ है,
तू खुद के लिए, खुद ही समर्थ है।
कीमती है तू, जानकर भी क्यों बनती है नासमझ,
कब जिएगी अपना जीवन, कब होगी तुझे समझ।
ओ नारी, खुद की परवाह कर लो,
अपने जीवन को भी थोड़ी राह दे दो।
जो हर किसी के सपनों का बोझ उठाती हो,
कभी अपने सपनों को भी आकार दे दो।
ओ नारी, जो दूसरों का जीवन सँवारती हो,
कभी अपने जीवन को भी कुछ मूल्य दे दो।
By Shikha Kumari
Comentários