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ना सुरक्षित घर में लड़की,काम में भी दिल घबराता है

By Swayamprabha Rajpoot




ना सुरक्षित घर में लड़की,काम में भी दिल घबराता है...

ना बस में जाना चाहती हैँ, कैब में भी कहाँ सुकून आता है...

हर पल अपने ऊपर किसी अजनबी अनजानी निगाहोँ को महसूस करती हैँ पैर से माथे तक वो...

कई दफा वो शख्स अपना ही नज़र आता है...

छेड़ते हैँ सड़को पर, बसों में भी लाज नहीं आती ऐसा ये परिवार हमारा है...

सोचो दोबारा, फिर दोबारा स्वतंत्रता क्या अधिकार तुम्हारा है???


दुर्गा माँ की पूजा करके स्त्री का बलात्कार करे...

देखो तो मर्दानगी इनकी छुप कर ये प्रहार करें...

बहन बेटियां भूल गए ये औरो की हैँ या खुद की...

बच्ची माँ को भी ना छोड़े ये मर्यादा हैँ इनकी...

माँ के दूध बहन की राखी का क्या ही कर्ज उतारा है...

सोचो दोबारा, फिर दोबारा स्वतंत्रता क्या अधिकार तुम्हारा है???


डॉक्टर ही जब नहीं सुरक्षित प्रजातंत्र का क्या होगा...

मरीजों के इलाज का स्थल,वहां अब कोई घायल होगा...

वही सुरक्षित जगह है वो जिस पर अंतिम भरोसा है...

उसी को दूषित करने वाला किसी का भाई बेटा है...

वाह रे मर्दोँ क्या मर्दानगी क्या हथियार तुम्हारा है...

सोचो दोबारा, फिर दोबारा स्वतंत्रता क्या अधिकार तुम्हारा है???


हम जब स्वयं दुसरे भगवान (डॉक्टर )को यूँ हानि पहुचायेंगे.

ज़रा सोचो भगवान भी हमें कहाँ फिर बचा पाएंगे...

जिस स्वतंत्रता हेतु हमने सारी दुनिया को हराया है..

कितने हुए शहीद कितने अब भी हैँ बॉर्डर पर, कितनो का नाम तक नहीं आया है..

वाह रे भारत माता के पूत क्या तूने कर्ज उतारा है...

सोचो दोबारा, फिर दोबारा स्वतंत्रता क्या अधिकार तुम्हारा है???


राजनैतिक दल और उच्च स्तर है स्वतंत्र.

नेताओं का हक़, गुनाहगारों का सहारा है...

स्वतंत्र तो बस ये ही हैं, अब भी परतंत्र देश हमारा है..

गर चाहते हो लक्ष्मी बाई तो देश हमारा झाँसी हो..

गर न्याय अभी भी बाकी है तो गुनहगार को फांसी हो..

स्त्री की गरिमा टूटे तो ये प्रतिकार हमारा है...

सोचो दोबारा, फिर दोबारा स्वतंत्रता क्या अधिकार तुम्हारा है???


नहीं बचा सकते हो बेटी, तो बेटी ना जाओ तुम...

लक्ष्मी दुर्गा ना समझो पर स्त्री समझ जाओ तुम...

बहुत हुआ रोना धोना अब तो कुछ करना होगा...

दुर्गा माँ की आन बचेगी,असुरों को मरना होगा...

बैठे नहीं रहो घरों पर स्वतंत्रता का ध्यान करो...

जब तक ना हो हर जगह सुरक्षित तब तक ना अभिमान करो..

पहले भारत को लड़कियों के लिए सुरक्षित बनाना तुम.

गर हैँ पौरुष,हे पुरुष तब ही स्वतंत्रता दिवस मनाना तुम…


By Swayamprabha Rajpoot



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