By Sushma Vohra
गर्मी ने चारो तरफ हाहाकार मचा है। लोगो का घर से निकलना दूभर हो गया है। सूर्य देव तो जैसे आगे के गोले बरसा रहे है। भयंकर ऊष्मा, पसीने-2 तन-बदन से मनुष्य का हाल बेहाल हो गया है।
नौतपा क्या है
शायद बहुत कम लोग जानते होंगे कि ज्येष्ठ माह से अर्थात 25 मई से 8 जून का समय रोहिणी नक्षत्र का होता है। यह 15 दिन का समय है परन्तु इसके भी शुरूआती नौ दिन भंयकर गर्मी वाले होते हैं। नौ दिन और ताप, इसीलिए इन दिनों को नौतपा कहा जाता है
ज्योतिषानुसार
जब रोहिणी नक्षत्र में सूर्य और धरती की दूरी कम होती है तो सूर्य की किरणे सीधे धरती पर पड़ती है जिस कारण तापमान उच्च स्तर पर होता है। सूर्य 15 दिनों के लिए रोहिणी में गोचर करता है और इस बार 2024 में यह समय 25 मई से 8 जून का है।
मौसम वैज्ञानिक
इसे हीट वेव या लू वाले दिन भी कहते है जबकि आम बोलचाल में इसे नौतपा, नवताप और रोहिणी भी कहते है।मानसुन की राह तकते किसान मानते हैं कि अगर नौतपा खूब तपा तो बारिश उस साल खूब होगी। एक पुरानी कहावत है
"तपै नवतपा नव दिन जोय, तौ पुन बरखा पूरन हौए"
हालांकि मौसम विज्ञानी इस बात पर विश्वास नही रखते क्यूं कि हर बार मानसून चक्र बदल रहा है।
विज्ञान और ज्योतिष दोनों ही इस मत पर भिन्न-2 विचार रखते है लेकिन दोनो इस बात को हमेशा स्वीकारते है कि इस दौरान भीष्म गर्मी पड़ती है।
भारत में एक और कहावत प्रचलित है -
दो मूसा, दो कातरा, दो तीड़ी, दो ताय ।
दो की बादी जल हरै,दो विश्वर, दो वाय।।
अर्थात् नौतपा के पहले दो दिन लू न चली तो चूहे बहुत हो जाएंगे। अगले दो दिन कातरा (फसल को नुकसान पहुंचाने कीट) बहुत से जाएंगे । तीसरे दिन से दो दिन न चली तो टिड्डियों के अंडे नष्ट नहीं होंगे।चौथै दिन के बाद नहीं चली तो बुखार वाले जीवाणु नहीं मरेंगे । इसके बाद 2 दिन लू न चली तो विश्वर यानि सांप नियंत्रण से बाहर हो जाएंगे। आखिर दो दान भी नहीं चली तो आँधियां चलेंगी। जो सारी फसलें नष्ट कर देंगी।
इसलिए बड़े बुजुर्ग कहते है "लू" से भयभीत न हो। सावधानी बरते, स्वस्थ रहें,जीवन में धर्म कर्म करते रहें।
पूजा-अर्चना
नौतपा में सूर्य भगवान की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है। सुबह उठ कर सूर्य को जल अर्पित करें, साथ ही आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें
क्पा न करें
जितना संभव हो घर से बाहर न निकले अगर निकलना ही पड़े तो सूती वस्त्र पहने, पानी की बोतल साथ रखे, खासतौर पर 12बजे से 3बजे तक न निकले। और बच्चों को बाहर जाने से रोके ।
पूण्य करें
इन दिनों बेहतर है कि एक-दो वृक्ष लगाए । ये पेड-पौधे पर्यावरण को ताप से बचाते है। यही समय है जब इनकी उचिता देखभाल आवश्यक है । धार्मिक दृष्टि से भी पेड-पौधे लगाना एक पूण्य कार्य है। जगह-2 पशु-पक्षियों के लिए पानी का प्रबन्ध करें तांकि वे लू से बच सके। इससे उनका भला तो होगा ही बल्कि आपको मानसिक शांति भी मिलेगी ।
क्या करें
इन दिनो में ताममान इतना ज्यादा होता है कि खुद का ध्यान रखना चाहिए। अक्सर घर की बनी छाछ , दही नींबू पानी , नारियल पानी का सेवन करते रहना चाहिए। अगर कोई मांगने वाला आ जाए तो उसे अपने सामर्थ्य के अनुसार दान देना चाहिए।
By Sushma Vohra
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