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तुम्हारा डब्बा

By Ekta Jasan


शुरुआत से ही तुम्हारी पारखी मेहनत को सराहना बेहद अहम हो जाता है, कारण केवल स्वाद का नहीं, बल्कि हर एक बारीकी का था जिसे तुमने बड़े ध्यान से किसी क्रम के अनुसार डब्बे में पैक किया हो, क्रम माने दो के बाद तीन का आना, सुबह के बाद दोपहर और फिर रात का होना। कितनी ख़ूबसूरती से तुमने खाने को पैक किया… रोटी-सब्ज़ी-अनरसा और वो दो नीले और चाँदी रंग के चॉकलेट... जब तुमने कहा सब्ज़ी ध्यान से ले जाना, तो पूरे रास्ते मैंने उसे अपनी हथेली पर सजाकर बहुत ही सावधानी से घर तक का सफ़र तय कराया, ताकि तुम्हारी मेहनत का कोई भी बूँद यूं ही ज़ाया न हो जाए। खाने से जो इंसान मोहब्बत फ़रमाते हैं, उसी बिरादरी से हम भी आते हैं। भोजन को देखकर मेरी पाँचों इन्द्रियाँ जाग जाती हैं। डब्बों को खोलते ही जो ख़ुशबू फैली और जो पहला शब्द मेरे मुँह से निकला, वो था ‘आह!’ धनिए की हरियाली और उसकी सुगंध कड़कती ठण्ड में तेज धूप की परत जैसी थी। अपने मोह को रोकते हुए मामला जब थोड़ा और नीचे पहुँचा, तो मटर के चमचमाते दाने समुद्र की लहरों में तैर रहे थे, और इस समंदर का रंग सफ़ेद था। इनमें लहरें नहीं थीं, बल्कि पनीर के सफ़ेद cubes तैर रहे थे। फिर दिखा तुम्हारा पसंदीदा शिमला मिर्च, जो तुम अक्सर हर सब्ज़ी में डाल देती हो। लंबे आकार में कटे हुए तुम्हारे वो शिमला मिर्च उसी समंदर की समुद्री घास लग रहे थे। थोड़ी और गंभीरता से जब नज़र पड़ी, तब ज़ीरा भी अपने छोटे से आकार में शांत सा उस विशाल समंदर के तल में बसा हुआ था, जैसे मछलियाँ होती हैं। टमाटर और प्याज़ को तुमने शायद पीस कर सब्ज़ी में डाला था, इसलिए एक-दो जगहों पर समंदर का पानी लाल सा हो गया था। दुनिया के सारे पकवान अच्छे हैं, पर उस पकवान का स्वाद अगर अच्छा उभर आए, तो आप बिन पिए मदहोश हो सकते हैं, और फिर एक सुकून भरी नींद अच्छे स्वाद की सच्ची पहचान होती है। सब्ज़ी की सूरत - स्वाद सब संतुलित था। शिमला मिर्च का हल्का crunchiness, पनीर का मख़मली texture, आलू ने जो सारे सामाग्री का ज़ायका थामा था, वो कमाल था। आसान शब्दों में कहूं तो सब्ज़ी इतनी शानदार थी कि ऐसे स्वाद को भूलूँ नहीं, इसलिए इन्हें पन्नों में दर्ज करके रखना पड़ेगा।


By Ekta Jasan

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