By Maninder Singh
जब से तुझे देखकर तेरे साथ हो के
यह दिल जो कुछ ख्वाइशे रख बैठा
यह दिल जो कुछ ख्वाइशे रख बैठा
कि तू और मैं उस शाम से अपने घर
एक दूजे के साथ उमर गुजार पाए
एक दूजे के साथ उमर गुजार पाए,
जब से तुझे देखकर तेरे साथ हो के
यह दिल जो कुछ ख्वाइशे रख बैठा
यह दिल जो कुछ ख्वाइशे रख बैठा
यार, खुदा से कितनी बार दुआ की साथ की
जब से तुझे देखकर इस दिल ने
जब से तुझे देखकर इस दिल ने
अक्सर मैं जब कल्पना कर जो बैठा
की मैं जो तुझे खुदा के घर लेजा बैठा
और वो जगहे जहाँ एक पीर ने दुआ दी हमे
जब मुझे देखकर तेरे साथ हँसते
जब मुझे देखकर तेरे साथ हँसते,
मेरे यार! कभी पूछो तो उनसे वो खुशी
अपने प्यार के नाम की मांग भरने की,
उस जैसी खुशी मेरे दिल में बसती
तेरे नाम और तेरे साथ की
और जुबान पर वो सुकून तेरा नाम का
और उस शाम से जब तू और मैं अपने घर
एक दूजे की सासों के साथ उमर गुजार पाए
बस यह ही यार दिल की कुछ ख्वाइशे
जब से तुझे देखकर तेरे साथ हो के
जब से तुझे देखकर तेरे साथ हो के,
और यही मेरे दिल की आखरी ख्वाइश जो
की हम साथ चलते हुए
उस दिन को रखे याद
कि उस जैसी चांदनी रात में
साथ हँसकर करे बातें
हम कभी दोनो कैसे मिले
उस अनजान शहर में
और मैं जो बेफिक्र हुआ कुछ पल साथ हँसकर
जब से तुझे देखकर तेरे साथ हो के
बस यह ही यार दिल की कुछ ख्वाइशे
जब से तुझे देखकर तेरे साथ हो के
जब से तुझे देखकर तेरे साथ हो के……
By Maninder Singh
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