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झठूे मकुदमों में उलझता जीवन

Updated: Oct 4

By Ramasaray Prasad Baranwal



झूठे भकु दभों भेंफयफाद होता जीवन भेंभैंएक ऐसेज्वरंत भद्ुदेको उठानेजा यहा हूं, जजसेनकाया नह ं जा

सकता । ननसंदेह मह कहना बफरकुर सह हैकी काननू रोगों की भदद के लरए फनतेहैं, ककसी को सतानेके

लरए नह ं,उनका दरुुऩमोग योका जाना चाहहए । मह कै सा काननू जजसभेंएक को आजाद ,दसू येकी ऩयेशानी ।

आखिय कफ तक एक झठूेअहभ की तजुटि के लरए सभाज के सम्भाननत औय सह व्मजतत को दिु दाई जीवन

तानेऩय भजफयू ककमा जाता यहेगा ।

एक छोिेसेउदाहयण द्वाया भैंअऩनी फात यिना चाहता हूं । गाजीऩयु जजरेके एक गांव भेंएक हरयजन बाई

अऩनेसाथथमों सेकहता हैकक, ठाकुयवा सारेऩगरा गए हैं, उनकी फात ठाकुय ऩरयवाय के कुछ रड़कों नेसनु ी

औय वेबी उन हरयजनों को सनु ाकय कहा कक सायेचभया कुर फौया गए हैं। उनकी फात को सनु कय हरयजनों ने

थानेदाय को न फरु ाकय सीधे112 नंफय डामर ककमा औय तयुन्त लशकामत कय द । ऩलुरस आईं औय बफना ककसी

की फात सनु ेहरयजन एति भेंठाकुय के रड़कों को उठा रेगई , बफना ककसी की सपाई सनु े,बफना कोई फात सनु े।

मह कहां का ननमभ औय काननू जजसभेंननम्न जानत के रोग अगड़ी जनतमों को जानतसचू क अऩशब्द तो फोर

सकतेहैं, रेककन अगड़ी जानत के रोग कुछ बी फोर देंतो उसेगार भान लरमा जाए औय बफना कोई ऩछू ताछ के

सीधेसीधेकायरवाई कय द जाए । हभ सबी मह स्वीकाय कयतेहैंकक इन सबी जानतमों के रोगों के साथ बतू कार

भेंफहुत गरत हुआ हैरेककन हय चीज की एक सीभा होती है। कह ं ऐसा तो नह ं कक इन जानतमों के कुछ रोगों

द्वाया इस काननू की आड़ भेंगरत पामदा उठाकय सीधेसादेअगड़ी जानत के रोगों को ऩयेशान कयनेका प्रमास

तो नह ंककमा जा यहा ।

इसी प्रकाय भहहरा उत्ऩीड़न की जस्थनत इससेफहुत अरग नह ं, ककस प्रकाय सेभहहरा को उत्ऩीड़न के नाभ ऩय

फहुत सायेगरत भकु दभों के चतकय भेंउरझाकाय साधेसादेरोगों ब्रैक भेर ककमा जा यहा हैमह ककसी से

नछऩा नह ं । एक भहहरा ककसी प्रकाय का कोई बी आयोऩ रगाकय उसेऩयेशान कय सकती हैंबफना ककसी सफतू के

औय बफना प्रभाण के ककसी बी सम्भाननत व्मजतत को उरझाना ककतना आसान हो गमा है। कोई भहहरा ककसी

बी व्मजतत ऩय कोई अलबमोग रगाती हैतो सफसेऩहरेतो वह व्मजतत ककतनी फड़ी भजुककर भेंऩड़ जाता हैवह

बुु ुतत बोगी ह जानता है, उसकी वषों की फनी भमारदा एक झिके भेंह सभाप्त हो जाती है, जफ उसके ऩरयवाय

के सदस्म, उसकी ऩत्नी , उसके फच्चों के साभनेउसकी तमा जस्थनत होती हैमह बतुतबोगी ह जानता है।

उसकी ऩरयजस्थनत का अंदाज रगाना ककसी दसू येके सभझ के फाहय होता है। सभाज भेंरोगों के साभनेजाना

औय जीना बी भजुककर हो जाता हैऐसेव्मजतत के लरए । रोग कै सी कै सी फातेंकयनेरगतेहैंऔय वह व्मजतत

ककस ककस को सपाई देतेकपयता हैकक उसनेकोई गरती नह ं की है,रेककन कहनेवारेमह बी कहनेसेनह ं

चूकतेकी कोई गरती नह ं हैतो सफाई तमों देता कपय यहा है। औय उस व्मजतत की जस्थनत कोई नह ं सभझ

ऩाता की आखिय वह कयेतमा । इधय कुआंऔय उधय िाई वह आखिय ककस ककस का औय कै सेसाभना कयेइस

जस्थनत का जजसभेउसका कोई दोष बी नह ं । कई फाय तो वह महां तक सोच रेता हैकक इस शभींदगी बय


जजंदगी सेतो भय जाना ह फेहतय है, औय कपय भजफयू भेंऐसा कदभ उठा रेता हैजजसकी कोई उम्भीद बी नह ं

कय सकता ।

पऩछरेलसपर एक सार भेंइस प्रकाय के रगबग एक राि सेज्मादा झूठे भकु दभेदर्जर हुए हैंजजनका कोई

औथचत्म नह ं था । इन भकु दभों भेंउरझकय ककतनेफेचायेरोग अऩना सम्भान गवांकय अऩना नायकीम जीवन

बफतानेको फाध्म हुए ,इससेककसको अंतय ऩड़ा तमा ऩलुरस को मा उन भहहराओं को जजन्होंनेगरत आयोऩ भें

पसामा था मा सभाज को जो ऐसेरोगों को बफना अऩयाध के अऩयाधी भान रेता है। देिा जाम तो मेसायेरोग

जजम्भेदाय हैंइस जस्थनत के लरए औय इन सफके लरए सवारथधक जजम्भेदाय हैहभाय न्माम व्मवस्था औय हभाय

सयकाय जो ढोर ऩीिती हैसाभाजजक न्माम प्रकिमा की ।

इसभेंकोई संदेह नह ंकी हभाय न्माम व्मवस्था जो फहुत सायेभद्ुदों को िुद फ खुद सऻान रेकय कायरवाई कयती

है, ऩयंतुइतनेफड़ेभद्ुदेको उसनेआज तक संऻान भेंतमों नह ं लरमा । इसके लरए हभाय प्रांतीम औय कें द्र

सयकायेंबी दोषी हैंजो फात फात भेंसाभाजजक औय याजनैनतक राब के लरए भहहरा औय जातीम सभीकयण

फनाती कपयती हैं। ननसंदेह इस भाभरेभेंऩलुरस फर की बलूभका सफसेज्मादा संदेहास्ऩद हो जाती है। कमोंकक

ऐसेभाभरेभेंऩलुरस अथधकाय कहतेहैंकक उनके हांथ फंधेहुए हैं, जफकी महद ऩलुरस चाहेतो उसके लरए

सच्चाई का ऩता रगाना कोई भजुककर कामरनह ं । रेककन ऩलुरस को इस तयह की कोई सचू ना लभरतेह सफसे

ऩहरेउसके हदभाग भेंकभाई का कीड़ा कुरफरु ानेरगता है। मह कीड़ा इतना ितयनाक होता हैकी ऩलुरस

सच्चाई जाननेका प्रमास ह नह ं कयती फजकक उस सभम उसका एकभात्र उद्देकम मह हो जाता हैकी साभने

वार ऩािी ककतनी भारदाय हैऔय ककतनी कभाई हो सकती है। कबी कबी तो ऩलुरस अथधकाय िुद ह

लशकामत कयनेवारों के साथ लभरकय अऩनी कभाई के चतकय भेंएक सीधेसादेआदभी को औय बी उरझा देते

हैं।

एक घिना का भैंसाऺी हूं कक एक घयेरूकाभ कयनेवार भहहरा नेककस प्रकाय भेयेऩड़ोस भेंयहनेवारेगहृ

भालरक को फयु तयह उरझाकय उनके खिराप ऩलुरस भेंलशकामत कयती हैकक उन फजु ुगरसज्जन नेउसके साथ

शाय रयक शोषण का प्रमास ककमा । ऩलुरस आई औय उन सज्जन को ऩकड़कय रेगई । फेचायेफजु ुगरसज्जन ने

ककतनी प्रकाय सेऩलुरस अथधकाय को सभझानेका प्रमास ककमा रेककन ककसी नेबी उनका साथ नह ं हदमा ।

रोगों का कहना था कक बफना कुछ ककए कोई भहहरा ककसी की लशकामत तमों कयेगी । फाद भेंएक भोि यकभ

रेकय उन फजु ुगरसज्जन को ऩलुरस नेछोड़ा । जजसभेसेउस भहहरा को बी एक अच्छा हहस्सा हदमा गमा ।

नन्संदेह जजस सभाज भेंरोग इतना थगय जामेंगे, उस सभाज का ककमाण होना असम्बव है। उन फजु ुगरसज्जन

नेघय सेननकरना ह छोड़ हदमा ,तमोंकक जजधय बी जातेरोग तयह तयह की कानापूसी शरूु कय देते। घय भेंबी

ऩरयवाय के रोगों नेउनका सम्भान कयना छोड़ हदमा । रोगों के तयह तयह के तानेसनु तेहुए कुछ हदनों फाद

उन्होनेंआत्भ हत्मा का प्रमास तक कय डारा तफ जाकय रोगों को रगा कक इस व्मजतत का दोष नह ं । रेककन

तमा कबी वेसज्जन अऩनेआगेकेजीवन भेंसाभान्म हो ऩामेंगे, ऐसा संबव नह ंरगता ।

हभायेदेश की काननू व्मवस्था ऩय फहुत कुछ कहा जाता है,महांफात फात भेंहाई कोिरऔय सप्रु ीभ कोिरफहुत

सायेभाभरों को संऻान भेंरेकय सयकाय को ननदेश देता हैकक वह इन ननमभ औय काननू का ऩनु यावरोकन कये


। तमा संफंथधत न्मामारम कबी इस भाभरेको बी संऻान भेंरेकय सयकायों को कुछ इस प्रकाय का ननदेश नह ंदे

सकता औय तमा हभाय सयकायेंइस भाभरेकी गंबीयता को देितेहुए कुछ इस प्रकाय की कायरवाई कयनेका

पवचाय नह ंकय सकती । रेककन सफसेफड़ी फात तो मह हैकक हभायेहाई कोिरऔय सप्रु ीभ कोिरके न्मामाधीश बी

कह ं न कह ं अऩनी रोकपप्रमता औय प्रलसद्थध के लरए ह काभ कयतेहैंइस सच्चाई सेइनकाय नह ं ककमा जा

सकता , नह ंतो ऐसा कोई कायण नह ंहदिता की इस गंबीय भसरेको रेकय अबी तक ककसी न्मामारम नेअबी

तक संऻान भेंतमों नह ं लरमा । ऐसी ऩरयजस्थनत भेंहभ प्रफद्ुध नागरयकों के लशक्षऺत वगरकी औय पवलबन्न

सभाचाय भाध्मभों की जजम्भेदाय औय बी फढ़ जाती हैकक इस सभाज पवयोधी औय गरत काननू का इस हद तक

पवयोध कयेंकक इसकी गजूं सहजता ऩवूकर हभायेकाननू ननभारताओंके ऩास ऩहुंचेजजससेवेइसेसंऻान भेंरेंऔय

इसकी सच्चाई जाननेका प्रमास कयें। ननसंदेह महद हभ ऐसा कयनेभेंसपर हो सके तो मह अऩनेआऩ भेंएक

फहुत फड़ी सभाज सेवा होगी ।


By Ramasaray Prasad Baranwal




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