By Hema ojha (Pen Name :- Staren ⭐✨
खौफ की बेड़ियों से बांधी हुई,
आजादी के परचम से हटी हुई,
जीना है मुझे आजादी से,
पर डर के लम्हों में डरी हुई…,
इंसान हु ,पर जज्बात कोई समझा नहीं,
तुम सब ने मन को मेरे ,
हजार दफा नोच लिया,
अक्स में दिल शांत रख,
आज मैने खुदको रोने से रोक लिया,
निभाती हु हजारों किरदार,
तब भी कमी,
मुझ में ढूंढ लिया,
क्यों नन्ही सी पली जिंदगी को,
तूने कचरे में छोड़ दिया,
लड़की होना श्राप नहीं था,
क्युकी उसके गर्भ से सारी दुनिया आती है,
तब भी बंदगी की बेड़ियों बांध,
इस दुनिया ने मुझे हर ताने सुनाई है,
आजादी से जीना है मुझे…,
जहां आजादी से हर इंसान जिए,
किसी के साथ गलत ना हो,
ऐसा सबक व्यवहार रहे,
पर अंधेरा तो तूने बनाया है,
इस अंधेरे से मुझे,
इस समाज ने जोड़ा है,
क्यों आजादी की इत्र नहीं…?
बल्कि बंद पिंजरों की बेड़ी है…,
बताओ क्या कसूर मेरा…,
जो दिल मेरे चुभता है…,
खौफ से क्यों जिए हम…,
जब शक्ति हम में वास करे…,
क्यू दुनिया से दबे हम…
नारी होना कमजोरी नहीं…,
क्यों शब्द में दबे रहे…
मोहब्बत ,रूप रंग में सारे,
भाव तुम मात के पाते हो,
अंत में उसी मात के दूध को बेइज्जत कर,
दूसरी महिला के संग विवाद लड़ाते हो…,
कर्मों का संगम तेज बड़ा है,
सुधार तुम जाओ अब,
जब तुम पर बात बनेगी,
तब कहना न हमसे एक शब्द,
जीने दे मुझे आजादी से,
की सौम्यता ना खोऊ न मैं,
उग्र रूप में आ गई,
तो तेज ना सह पाओगे,
क्रोध रूप में तुम हमारे,
महाकाली के दर्शन पाओगे…!
By Hema ojha (Pen Name :- Staren ⭐✨
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