By Virendra Kumar
प्राचीन काल की बात है,
जब विज्ञान था मूक नादान,
तब भी भारत के कर्ण धार,
ले गये विश्व गुणगान,
बात शुरू 600 ईशा पूर्व से ,
जब सुश्रुत ने किया प्रयोग ,
सर्जरी वो तब कर डाले,
समझ ना था जब क्या है रोग,
फिर आया 500 ईशा पूर्व,
जब था दुनिया अंजान,
तब एक से नौ तक नंबर का,
जहाँ चिन्ह दिये विद्वान,
वही 300 ईशा पूर्व मे,
अशोक अभिलेख पर आया,
था अरबों ने जिसे नकल किया,
और गोरों मे फैलाया,
फिर आया 400 ईशा पूर्व,
जब था बस लोहे का ज्ञान,
स्टील बना कर लोहे से,
जहाँ प्रथम लिये स्थान,
तीसरी सदी मे तमिल क्षेत्र ने,
फिर दिया बड़ा उपहार ,
डामास्कस तलवार बना,
जो था विश्व प्रसिद्ध हथियार,
वक्त के साथ डेवेलप हुआ,
अनोखा समझ और ज्ञान ,
और भारत के कर्ण धार,
ले गये विश्व गुणगान,
अब था 300 ईशा पूर्व,
हीपोक्रेटस से पहले की बात,
आचार्य चरक ने संहिता से,
आयुर्वेद को किया विख्यात,
और फिर 300 ईशा पूर्व मे ही,
आचार्य पिंगला आए ,
मात्रामेरु नाम से फिर,
वो एक नंबर सीरीज बनाए ,
विरहँका, गोपाला,हेमचंद्र,
दिये उसी सिरीज़ का ज्ञान,
ले श्रेय फिबोनाची जिसका, (सन १२००)
बन गए विश्व महान,
फिर चंद्रशास्त्र नामक पुस्तक मे ,
आचार्य पिंगला ने जो बतलाया,
वो कंप्युटर का भाषा बना,
और बाईनरी नंबर कहलाया,
बड़े अंक लिखने मे जब,
दुविधा थी भरपूर,
ब्रह्मगुप्त जीरो दिये,
और किये कठिनाई दूर,
जब आविष्कार मे बाधा था ,
खींचा जटिल गणना ने ध्यान,
तब पाँचवीं सदी मे दशमलव दे ,
भारत ने खोज को किया आसान,
ना कोई पहले की तकनीक ,
खुद ही पैदा किये विज्ञान ,
और भारत के कर्ण धार,
ले गये विश्व गुणगान,
जब जन्म नहीं था डाल्टन का,
कोई था सोच ना पाया ,
भारतीय वैज्ञानिक कणाद ने ,
अटम का अस्तित्व बताया,
डिस्टिलेसन तकनीक हुआ,
सन 1200 मे प्रयोग ,
जिंक स्मेल्टिंग के प्रोसैस का ,
प्रथम किये उपयोग,
अक़बर शासन में सीमलेस,
मेटल ग्लोब बनाया,
जिससे 1980s के वक्त में भी,
आधुनिक तकनीक चकराया,
और भी बहुत किये कारनामे,
खींचा पूरे विश्व का ध्यान ,
अपना प्यारा देश कभी था,
सब देशो से महान I
By Virendra Kumar
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