By Maninder Singh
कभी मुझे जिसका साथ था
वो तेरा बच्चों सा स्वभाव था
पर मैं तो आजकल
हवा बनकर तुझमे ढूंढता
वो ही स्वभाव जिसको याद कर
मैं अपने आप में ही हँस लेता हूं
खो जाता हूं मैं याद कर
तेरा बच्चों सा का साथ को
यह कैसा समय
तेरी यादें जब सपने बनकर आते
जिन्हें देख खो जाता तुझ में मैं
और धीरे-धीरे बहता मैं
तेरी यादों की नदी में
कैसा संयोग है यह
जब तुम भी मेरी यादों में,
एक अनजान रास्ते पर चलकर
तुम्हारे बच्चों सा स्वभाव ने
मुझ से कहा था
की तुम मेरे बिन खो ही जाओगे,
और यह भी कहा था
की यह कभी नही छोर कर जायेगा
जब तुमने कहा था उन्हें
उस शाम को
पर मैं तो आजकल
हवा बनकर तुझमे ढूंढता
वो ही स्वभाव जिसको याद कर
मैं अपने आप में ही हँस लेता हूं
खो जाता हूं मैं याद कर
तेरा बच्चों सा का साथ को
यह कैसा समय
तेरी यादें जब सपने बनकर आते
जिन्हें देख खो जाता तुझ में मैं
और धीरे-धीर बहता मैं
तेरी यादों की नदी में,
कैसा संयोग है यह
जब तुम भी मेरी यादों में
By Maninder Singh
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