By Kirti Sharma
लोगों की आहटों में,
उनकी मुस्कुराहटों में।
तारों भरे आसमान में,
जिंदादिली की दास्ताँ में।
रंग-बिरंगे गुब्बारों में,
पुराने घर के चौबारों में।
नन्हे-मुन्नों की खिलखिलाहट में,
कवियों की लिखावट में।
खेतों में लहराती हवाओं में,
उन नदियों के बहावों में।
सूरज की तपती गर्मी में,
सर्दी की रातों की नर्मी में।
मंदिरों की आवाज़ों में,
और मस्जिद की नमाज़ों में।
होली के गुलालों में,
उस मासूम के सवालों में।
दिवाली के दीपों में,
अलग-अलग रितों में।
बारिश की बूंदों में,
थकावट भरी नींदों में।
शोर मचाते मेलों में,
रोमांच भरे खेलों में।
इन छोटी-बड़ी खुशियों में खुद को तुम जानो,
और अपने आप को पहचानो।
By Kirti Sharma
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