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कहानी क़िस्मत की

Updated: Oct 4

By Ramasray Prasad Baranwal



बाबूतजे बहादरु सि हं का पत्रु होनेके कारण उसका सभी सम्मान करतेथे, क्योंकि उसके पि ता का परूेक्षेत्र में

न सि र्फ दबदबा था,बल्कि डर भी था कि कोई ऊं च नीच होनेकी स्थि ति मेंउनकी दर्गु तिर्गति होनेमेजरा भी देर नहीं

लगती, लेकि न पि ता के स्वभाव के वि परीत सत्य प्रकाश की सोच उसका रहन सहन सब कुछ अलग था l वह लोगों

सेबहुत ही सादगीपर्णू र्णतरीके सेमि लता, उसका रहन सहन,सोच वि चार का तरीका बि लकुल अलग था l कि सी को

दखु ी देखकर दःुखी हो जाना उसकी स्वाभावि क आदत बन चकु ी थी l तजे बहादरु सि हं वि धान सभा चनु ाव में

लगातार तीन बार सेचनु ाव जीत रहेथे, उनका राजनतिैतिक कद बहुत ऊं चा था,ऐसी स्थि ति मेंउनके पत्रु को दनिुनिया

की सारी सखु सविुविधाएं स्वयं ही उपलब्ध थी l परंतुसत्य प्रकाश की सोच अलग कि स्म की थी l वह खदु को

सामान्य सा व्यक्ति मानता था और उसी अनसु ार लोगों सेउम्मीद करता था लेकि न इसका क्या कि या जाए कि

लोग उसेअलग दृष्टि सेदेखतेऔर व्यवहार करनेका प्रयास करतेl लेकि न सत्य प्रकाश नेकभी भी कहींभी खदु

को अलग दि खानेऔर कार्य करनेका प्रयास नहींकि या l

अभी पि छले दि नों की बात है, जब कालेज में आयोजि त एक समारोह मेंशामि ल होनेके लि ए आए वि भि न्न

प्रति भागि यों के बीच कालेज प्रशासन ने जब सत्य प्रकाश को सर्वश्रर्व ेष्ठ छात्र का परुस्कार देना चाहा तो उसने

परुस्कार लेनेंसेमना कर दि या और यह परुस्कार उसनेकालेज की एक सामान्य परि वार सेसबं धं रखनेवाली

लड़की सधु ा को देनेकी इच्छा जताई और उसेही वह परुस्कार दि या गया l यह सही भी था क्योंकि सधु ा नेपि छले

साल कॉलेज की स्नातकोत्तर की प्रथम वर्ष की परीक्षा मेंसर्वश्रर्व ेष्ठ अकं प्राप्त कि ए थे, जबकि सत्य प्रकाश दसू रे

स्थान पर था,लेकि न उसके अन्य क्रि या कलापों के चलतेउसेसर्वश्रर्व ेष्ठ छात्र का परुस्कार देनेका नि र्णयर्ण कालेज

प्रशासन नेलि या था l

समय बीतनेके साथ परि पक्वता आती गई और सधु ा के प्रति सत्य प्रकाश का खि चं ाव बढ़ता गया , सधु ा एक सीधे

सादे परि वार की लड़की थी,जि सके अदं र खदु को परि श्रम द्वारा आगेबढ़नेकी अदम्य इच्छा थी l जि स दि न से

सत्य प्रकाश नेसधु ा को सर्वश्रर्व ेष्ठ छात्र का परुस्कार देनेकी सि फारि श की थी उसी दि न सेउसके मन मेंसत्य

प्रकाश के प्रति वि चार मेंबदलाव आ गया था l कहतेहैंकि इश्क और मश्ुक छुपाए नहींछुपतेl हालांकि ऐसी कि सी

बात सेसत्य प्रकाश और सधु ा दोनों ही मना करतेथेl सत्य प्रकाश की एक बात और थी,वह कहता था कि क़ि स्मत

मेंजो लि खा हैवहीं होता हैl

एक दि न की बात है, जब कालेज मेंछुट्टि यां चल रही थी सत्य प्रकाश कि सी काम सेशहर के बाहर जा रहा था कि

अचानक उसकी नि गाह सड़क पर गई उसनेदेखा कि सधु ा कि सी काम के सि लसि लेसेसड़क पर पदै ल जा रही

थी,उसनेसोचा कि वह उसेआवाज देकर बलु ाए और अपनी गाड़ी मेंबलु ा ले,वह उसेआवाज देनेही वाला था कि

उसने देखा कि कुछ बदमाश जसै ेदि खनेवालेलोग उसके पास पहुंचेऔर उसेजबरदस्ती अपनेसाथ गाड़ी में

बठै ाकर लेजानेलगेl सधु ा वि रोध करती रही लेकि न इसका कोई असर उन लोगों पर नहीं पड़ा और एक लड़की

कि तना भी वि रोध कर लेलेकि न उन बदमाशों को कोई अतं र नही पड़नेवाला था l सत्य प्रकाश घर सेजरुरी काम से

नि कला था लेकि न वह सब भलू गया और उसनेअपनी गाड़ी उन बदमाशों के पीछेलगा दी, उसका दि माग तजे ी से

काम कर रहा था, वह सोच रहा था कि सधु ा का अपहरण के पीछेउनका उद्देश्य क्या था l

उसनेजल्दी सेपलिुलिस स्टेशन फोन लगाया और इस बात की सचू ना पलिुलिस को दी ,उनका लोकेशन बताया और

पीछा करनेलगा, कुछ देर बाद ही उन बदमाशों को इस बात का अदं ाजा हो गया की उनका पीछा कि या जा रहा है,

इतनी मेंपलिुलिस की बनै भी आ पहुंची, अब तो बदमाशों नेसधु ा को चलती गाड़ी सेबाहर फेंकनेमेंही अपनी भलाई

समझी और उसे फेंक कर भागनेलगेl सत्य प्रकाश नेअपनी गाड़ी रोककर सधु ा को बठै ाया और उसेलेकर

नजदीकी हॉस्पि टल पहुंचाया l और पीछेसेआ रही पलिुलिस वनै को उन बदमाशो के पीछेजानेको कहा l

चकिंूकि बदमाशों नेसधु ा को चलती गाड़ी सेफेंका था इसलि ए उसेकाफी चोट आई थी, वह कुछ भी बोल पानेकी

स्थि ति मेंनहीं थी , जि सके चलतेअब सारी जि म्मेदारी सत्य प्रकाश के उपर आ गई थी l पहलेतो उसनेअपने

नजदीकी दोस्त सरूज को अपनी मदद के लि ए बलु ा लि या और उसेसधु ा के घर भेजकर उन्हेंअस्पताल बलु वा लि या

l सधु ा के परि वार मेंउसके पि ता का स्वर्गवर्ग ास हो चकु ा था उसका एक छोटा भाई और मां थीं l उसनेसरूज को सि र्फ

उसकी मां को बलु ानेके लि ए कहा था, उसकी मां सरस्वती देवी छोटेबेटेके साथ वहां पहुंचीं तो सधु ा की हालत


देखकर घबड़ा गईं और रोनेलगीं, उन्हेंसत्य प्रकाश नेढांढस दि या l छोटा भाई रवि की उम्र अभी कम ही थी, वह

बारहवींमेंपढ़ रहा था l उसकी समझ मेंनहींआ रहा था कि वह क्या करेl

सत्य प्रकाश नेउन्हें सारी बात बताई , लेकि न बदमाश भीड़ भाड़ का फायदा उठा कर भाग गए थे,पलिुलिस भी

लौटकर आ गई थी और उसनेसत्य प्रकाश का बयान दर्ज कर लि या था और आगेकी करवाई मेंलग गई थी l सत्य

प्रकाश के पि ता को जब घटना की जानकारी मि ली तो वेभी उससेमि लनेआ गए थेl सत्य प्रकाश की सभी प्रशंसा

कर रहेथेl सधु ा को अगलेदि न होश आया तो उसनेखदु को अस्पताल मेंपाया,उसेपता भी नहीं था कि उसके

साथ क्या कुछ हुआ था ,उसेबस इतना याद था कि उसेकुछ बदमाशों नेजबर्दस्ती अपहरण की कोशि श की थी

और जब उन्हेलगा कि कोई उनका पीछा कर रहा हैतो उन्होंनेउसेचलती गाड़ी से बाहर फेंक दि या था l उसको

डॉक्टर ने अधि क बोलने से मना कि या था ,अपनी मां को देखकर वह रो पड़ी थी लेकि न डॉक्टर नेउसेतरुंत

इंजेक्शन देकर सलु ा दि या l शाम को जब होश आया तो मांनेउसेअपनेगोद मेंबठै ाकर सारी बातेंबताई, तभी वहां

सत्य प्रकाश भी आ गया,जि सेदेखकर सधु ा कुछ बोल नहीं पाई बस हाथ जोड़कर देखा जसै ेउसकी आखं ेबोल रहीं

हो जसै ेसारी दनिुनियां का एहसान उसनेकि या हो, लेकि न सत्य प्रकाश नेउससेकहा कि पहलेतमु ठीक हो जाओ तो

फि र बात करेंगेl जब तक सधु ा अस्पताल मेंरही तब तक वह अस्पताल मेंआता रहा अस्पताल सेघर लौट आई

तो उसका आना जाना कम हो गया l लेकि न सधु ा को जसै ेसत्य प्रकाश को देखेंबि ना चनै ही नहींआता था जि स

दि न वह देर कर देता उस दि न सधु ा परेशान सी हो जाती l

धीरेधीरेकॉलेज की छुट्टि यां समाप्त हो रही थीं l सभी छात्र छात्राएं नए सेशन को लेकर उत्साहि त थेl कुछ नए

एडमि शन को लेकर तो कुछ अगली क्लास मेंजानेको लेकर, लेकि न सधु ा एक अजीबोगरीब उलझन सेग्रस्त थी,

क्योंकि उसका इस वर्ष पी जी का फाइनल ईयर था l पता नहींकालेज मेंउसकी अपहरण और अस्पताल के बारेमें

कैसी कैसी बातेंसनु नेके लि ए मि लेंगी l लड़के लड़कि यां तरह तरह के सवाल पछू ेंगे,जि नके जवाब देना कि तना

मश्किुश्कि ल होगा l यह तो भला हो कि सत्य प्रकाश भी रहेगा नहींतो और भी मश्किुश्कि ल होती l एक बात और भी थी कि

कभी वह कॉलेज जानेमेंघबराई नहीं थी ,लेकि न उस घटना के बाद उसके मन मेंघर सेबाहर नि कलनेमेंएक

अनजाना सा भय लगनेलगा था l और बदमाश भी अभी तक नहींपकड़ेगए थेl

अभी कालेज जानेके लि ए वह घर सेबाहर नि कलनेही वाली थी कि तभी उसनेदेखा कि सत्य प्रकाश अपनी गाड़ी

लेकर उसके घर आ गया। वह उसके साथ जानेके लि ए मना ही करनेंवाली थी कि उसकी मांनेसमझाया की बेटी

दो एक दि न साथ मेंचली जाओ फि र मना कर देना l वह मांकी बात मानकर उसकी गाड़ी मेंपीछेबठै गई l रास्ते

मेंउसनेअपनेमन की बात उससेकही कि ” इस तरह सेरोज साथ जाना दोनो के लि ए ठीक नहीं होगा,लोग तरह

तरह की बातेंकरेंगेतो सत्य प्रकाश नेकहा कि “तमु कहती तो ठीक हो लेकि न कि सी और की बात सेउसको अतं र

नहींपड़ता” l लेकि न जो कि स्मत मेंहोता है,वही होता हैl” उसकी बात सनु कर दोनों हंसनेलगेl

दोनों रास्तेमेंचपु ही रहेथे, उसका दोस्त सरूज भी रास्तेमेंमि ल गया और तीनों कॉलेज पहुंचेऔर जि सका अदं ेशा

था वहीं हुआ चारों ओर सेलड़के लड़कि यों नेघेर कर हाल चाल पछू ना शरूु कर दि या,सबकी बातों का उत्तर सत्य

प्रकाश नेही दि या l उसनेयह भी कहा कि कॉलेज आनेमेंसधु ा को थोड़ा अकवार्ड फील हो रहा था इसलि ए साथ में

चली आई l शाम को भी दोनों साथ ही कॉलेज सेघर लौटेl सत्य प्रकाश नेसाथ साथ आनेजानेके लि ए बहुत जोर

दि या,लेकि न सधु ा नहीं मानी,फि र भी कभी कभी दोनों साथ साथ आ जातेऔर कभी कभी साथ ही कॉलेज सेघर

लौटतेl

इस बीच कॉलेज यनिूनियन का चनु ाव होनेवाला था, सत्य प्रकाश तो पि छलेबार सेही चनु ाव लड़ रहा था और जीता

भी था l इस बार भी उसेचनु ाव लड़ना था, लेकि न पता नहींक्यों उसका मन इस बार चनु ाव लडनेका नहींकर रहा

था, जब उसनेइस बारेमेंसधु ा सेपछू ा तो उसनेचनु ाव लड़नेसेमना नहींकि या और उसेएक बार अपनेपि ताजी

सेपछू नेको बोली l जब उसनेअपनेपि ता तजे बहादरु सि हं सेबात की तो उन्होंनेउसेचनु ाव लड़नेके लि ए कहा

और उससेयह भी कहा कि पसै ेकी चि तं ा नहीं करनी चाहि ए और जो भी मदद की जरूरत हो तो उसेसकं ोच नहीं

करना चाहि ए l लेकि न अब कॉलेज के चनु ाव पहलेजसै ा नहीं रह गए थेl अब तो बड़ी बड़ी पार्टि यांभी अपनेकैंडि डटे

खड़ा करती हैंऔर उन्हेंजि तानेमेंपरूा जोर लगा देती हैंl वि रोधी पार्टी नेजो कैंडि डटे खड़ा कि या था वह एक

बदमाश कि स्म का लड़का था ,जि से कॉलेज में कोई पसदं नहीं करता था उसका नाम उदयवीर था l लेकि न

आजकल इसी कि स्म के लोग राजनीति मेंअधि क सक्रि य हो रहेहैंऔर अधि कतर पार्टि यां इसी प्रकार के लोगों को

टि कट देती हैंl सधु ा जसै ी परि वार की सीधी सादी लड़कि यांऐसेलोगों को कत्तई पसदं नहींकरती थीं l पि छलेचनु ाव


मेंभी वहीं चनु ाव लड़ा था लेकि न उसेसत्य प्रकाश नेबरुी तरह हराया था l वह परुानी हार को भलू नहीं पाया था

और इस चनु ाव मेंबदला लेनेके लि ए तयै ार था , सभं वतः इसी लि ए सत्य प्रकाश चनु ाव नहींलड़ना चाहता था l

लेकि न सभीं चाहतेथेकि सत्य प्रकाश चनु ाव लड़ेऔर जीतेभी ,क्योंकि वह न सि र्फ़ व्यवहार कुशल था बल्कि

दसू रों को मदद करनेवाला उसका स्वभाव और प्राध्यापकों का सम्मान और पढ़ाई मेंभी बहुत अच्छा था l जबकि

इस बार अपनी पार्टी के सहारेउदयवीर चनु ाव जीतना चाह रहा था l वह तरह तरह के ति कड़म रच रहा था , उसने

सधु ा और सत्य प्रकाश को लेकर तरह तरह की बातेंफैला रखीं थीं l सभं वतः इसी बात की आशंका सत्य प्रकाश के

मन मेंरही होगी जि सके चलतेउसका मन चनु ाव लडनेका नहीं हो रहा था l सत्य प्रकाश को सधु ा के अपहरण में

भी उसी का हाथ होनेकी आशंका थी ,लेकि न शंका के आधार पर कार्रवाई नहीं हो सकती थी l सत्य प्रकाश नेनहीं

सोचा था कि उदय वीर अपनी हार को इस तरीके सेलेगा ,उसके पि ता नेएक बार कहा था कि वह उसेदसू रेतरीके

सेउदयवीर का इलाज कर दें,लेकि न सत्य प्रकाश नेमना कर दि या नहीं तो उसके पि ता तजे बहादरु सि हं कि तने

सक्षम थेयह बात सत्य प्रकाश भी जानता था और उसका वि रोधी उदयवीर भी l

सत्य प्रकाश उस दि न कॉलेज मेंकुछ देर तक रुका सधु ा घर के लि ए नि कल चकु ी थी l सत्य प्रकाश उस दि न गाड़ी

सेअकेलेही घर जा रहा था , उसनेउदयवीर को एक ढाबेपर कुछ, साथि यों के साथ बठै ा देखा लेकि न कुछ बोला

नहीं उसके साथ तीन चार लोग थेजो, चेहरेको नकाब सेढके हुए थेऔर जो कॉलेज के साथी नही थेl सत्य प्रकाश

नेज्यादा सोचा नहीं , वह अपनी गाड़ी सेसामान्य तरीके सेचलता रहा, थोड़ी देर मेंउसनेदेखा की उदयवीर गाड़ी

चलातेहुए उससेआगेनि कलकर एक सनु सान जगह पर अपनी गाड़ी सेउसका रास्ता रोककर खड़ा हो गया l उसके

दि माग नेझटका खाया और उसनेअपनी गाड़ी को तजे ी सेब्रेक लगाया और तरुंत सरूज को फोन लगाया उसका

फोन बि जी था l उसके बाद उसनेसधु ा को फोन लगाया और उससेपछू ा कि वह कहां है? तबतक उदयवीर नेभी

अपना चेहरा नकाब सेढक लि या था,अपनेसाथि यों सहि त वहां उसकी गाड़ी के पास आ पहुंचा, उनके इरादेठीक

नहीं लग रहेथेl सधु ा अभी तक कॉल पर ही थी उसनेकहा कि वह कि स लोकेशन पर हैऔर सरूज को फोन करने

को कहा, तबतक उदयवीर साथि यों सहि त उसकी गाड़ी का दरवाजा खोलनेकी कोशि श करनेलगा , नहीं खलु नेपर

वह उसेअपशब्द बोलनेलगा l सत्य प्रकाश समझ चकु ा था कि उसके इरादेठीक नहीं हैं, अतः उसनेगाड़ी बकै

करनेकी कोशि श की ,उसका मोबाइल चालूही था सारी आवाजेंसधु ा को सनु ाई पड़ रही थी,वह समझ चकु ी थी कि

सत्य प्रकाश परेशानी मेंहै,वह घर नहींपहुंच पाई थी,उसनेतरुंत आटो चालक सेआटो रि क्शा घमु ानेके लि ए बोला

उसनेरास्तेमेंसबसेपहलेसरूज को फोन कि या और उसेलोकेशन पर पहुंचनेके लि ए कहा उसके बाद उसनेपलिुलिस

को सचू ना दी l उसके बाद उसनेसत्य प्रकाश को फोन लगाया तो वह व्यस्त था, उसनेघबराकर सत्य प्रकाश के

पि ताजी को फोन लगाया उन्हेंसारी स्थि ति की जानकारी दी l

इधर सत्य प्रकाश ने जब अपनी कार का दरवाजा नहीं खोला,तो उदयवीर नेदरवाजा तोड़ देनेको कहा,उसके

साथि यों नेशीशेका दरवाजा तोड़ दि या था, अब सत्य प्रकाश को कार सेबाहर कूदना ही उचि त लगा ,वह कार का

दरवाज़ा खोलकर बाहर नि कला और फि र उन बदमाशों पर टूट पड़ा क्योंकि भागना उसेउचि त नहींलगा और उसके

हाथ मेंवहीं बगल मेंपडी एक लोहेकी छड़ हाथ लग गई, उदयवीर गालि यां देता हुआ अपनेसाथि यों सहि त सत्य

प्रकाश पर पि ल पड़ा सभी हाकी स्टि क लेकर आए हुए थे l सत्य प्रकाश बड़ी हि म्मत से उन सबसेलड़ रहा

था,लेकि न एक आदमी चार पांच लोगों सेकब तक लड़ता l उदयवीर के एक साथी नेपीछेसेआकर उसके सि र पर

हाकी स्टि क सेजोर सेमार दि या,वह गि र पड़ा तब तक सधु ा वहांपहुंचींऔर उसनेआव देखा ना ताव गस्ुसातेहुए

वह उन बदमाशों सेभि ड़ गईं l उसके दि माग मेंएक ही बात थी, कि उसेसत्य प्रकाश को उन बदमाशों सेबचाना हैl

इधर सधु ा को आया देखकर एक बदमाश के महंु सेनि कल गया कि “साली अब येबचानेआई हैअपनेयार को ,

परन्तुइस बार इसको भी इसके यार के पास पहुंचा देतेहैंl महंु पर सारे बदमाशों नेनकाब बधं ेहुए थेलेकि न

आवाज तो पहचानी हुई थी,जि सेउसनेपहचान लि या था l बेचारी अकेली लड़की उन बदमाशों का कब तक सामना

करती, तभी पलिुलिस की शायरन की आवाज सनु ाई पड़ी और बदमाशों नेभागनेमेंही अपनी भलाई समझी l लेकि न

तबतक सरूज भी अपनी बाईक सेआ पहुंचा था और वह भी उन बदमाशों पर पि ल पड़ा था l एक गाड़ी पर तीन चार

बदमाश भागनेमेंकामयाब हो गए थेपरंतुएक बदमाश को सरूज और सधु ा नेमि लकर पकड़ लि या था l अब तो

बड़ी मश्किुश्कि ल हो गई थी क्योंकि पकड़ेगए बदमाश को पलिुलिस अपनेसाथ लेगईं और बेहोश पड़ेसत्य प्रकाश को

ऑटो मेंलेकर सरूज और सधु ा अस्पताल जानेको तयै ार थेतबतक तजे बहादरु जी भी अपनी गाड़ी सेआ गए थेl

उन सभी नेमि लकर जल्दी सेसत्य प्रकाश को तजे बहादरु जी की गाड़ी मेंलेकर अस्पताल पहुंचेl धीरेधीरेसत्य


प्रकाश को होश आनेलगा था, तबतक डाक्टरों नेउपचार भी शरूु कर दि या l जसै ेही सत्य प्रकाश को होश आया

तबतक उस क्षेत्र के थानेदार और ए सी पी भी आ गए l

उन लोगों नेसत्य प्रकाश का और सधु ा का बयान भी रि कार्ड कि या जि समेंदोनों नेउदयवीर के खि लाफ बयान दि या

था,क्योंकि सधु ा नेआवाज को पहचान लि या था l सत्य प्रकाश नेसधु ा को बयान देनेसेरोकना चाहा लेकि न वह

नि डर हो गई थी और उसनेभी बयान दि या जि समेउसनेउदयवीर को ही अपनेअपहरण मेंशामि ल होनेकी बात

कही ,इसबीच पकड़ेगए बदमाश नेभी पलिुलिस को अपना बयान देदि या जि सके आधार पर पलिुलिस नेबाकी के उसके

साथि यों के साथ साथ उदयवीर को भी गि रफ्तार कर लि या था l

सत्य प्रकाश के पि ता तजे बहादरु जी नेसधु ा की बहुत तारीफ की,सरूज और सत्य प्रकाश नेभी सधु ा को बहुत बहुत

आभार जताया l सत्य प्रकाश नेतो हंसतेहंसतेयह भी कहा कि तमु कि सी का एहसान नहीं लेना चाहती थी, तो

तमु नेमेरेएहसान का बदला चकु ा दि या परंतुसधु ा नेमस्ुकरातेहुए बस इतना ही कहा की ऐसा भी कहीं होता है

क्या ? सत्य प्रकाश नेबोला कि कहानी क़ि स्मत की हैजो होना हैवह होगा ही l


कॉलेज के चनु ाव मेंसत्य प्रकाश को नि र्वि रर्वि ोध वि जयी घोषि त कर दि या गया क्योंकि कोई तीसरा

कैंडीडटे था ही नही l इस घटना के बाद सत्य प्रकाश और सधु ा साथ साथ ही कॉलेज आनेजानेलगेथेl लेकि न सधु ा

और सत्य प्रकाश नेखदु को सि र्फ और सि र्फ दोस्ती की सीमाओं मेंबांध रखा था, उससेअधि क उन दोनों नेकभी

भी आगेनि कलनेका प्रयास नहीं कि या l वह समय भी आ गया ,जब कॉलेज छोड़ना था l एक दि न तो यह होना ही

था l सधु ा नेपोस्ट ग्रेजएुशन के बाद प्रशासनि क अधि कारी की परीक्षा मेंसम्मि लि त होनेकी अपनी तयै ारि यों में

लग गई जबकि सत्य प्रकाश नेअपनेपरि वारि nक बि ज़नेस फैक्टरी जानेलगा l दोनों ही इस बात को अच्छी तरह

जानतेथेकि दोनो के परि वारों मेंबहुत अतं र था,फि र भी दोनों एक दसू रेकी भावनाओंको भली भांति परि चि त थे

और उन्हों नेफैसला कि या था कि कुछ और समय कैरि यर बनानेको देना ठीक होगा l


अब सधु ा की मां उससेशादी की बात करनेको कहती तो उसका जवाब होता कि जॉब के बाद l यहीं

ऐसा ही कुछ हाल सत्य प्रकाश के यहांभी था,उसके पि ता शादी की बात कहतेतो वह भी कुछ दि न इंतजार की बात

करता l धीरेधीरेएक साल होनेको आ गए ,इस बीच भारतीय प्रशासनि क सेवा के प्री और मख्ु य परीक्षा के परि णाम

घोषि त हो चकुे थेऔर इस परीक्षा मेंसधु ा चयनि त हो चकु ी थी और इंटरव्यूका रि जल्ुट भी आनेवाला था l इसी

समय एक बहुत बढ़ि या रि श्ता सत्य प्रकाश के लि ए एक मत्रं ीजी के यहां सेआ गया l परंतुसत्य प्रकाश नेस्पष्ट

शब्दों मेंअपनेपि ता सेबता दि या की शादी वह सधु ा सेही करेगा l उसके पि ता तजे बहादरु सि हं नेकहा कि ” बेटा तो

यह बात पहलेही बतानी थी, मैंमत्रं ीजी को कैसेमना करूं l “ सत्य प्रकाश नेकहा “अब पापा मना तो करना ही

पड़गे ा और कोई उपाय नहीं है“l यही कहानी हैकि स्मत की l”

तजे बहादरु सि हं नयेजमानेके थे,वेसमझ गए कि बेटेके सामनेजि द करना ठीक नहीं होगा l इसी बीच सधु ा का

फाइनल रि ज़ल्ट आ गया था,वह आई ए एस मेंचयनि त हो चकु ी थी l उसेट्रेनि गं पर जाना था l उसके पहलेही सधु ा

और सत्य प्रकाश मि लेऔर दोनों नेमि लकर यह नि र्णयर्ण लि या की शादी सधु ा की ट्रेनि गं मेंजानेके पहलेही कर दी

जाय l सबसेपहलेसधु ा की मां सरस्वती देवी शादी का रि श्ता लेकर तज़े बहादरु जी सेमि लनेउनके घर गईं l अब

उनकी स्वीकार्यतर्य ा बढ़ चकु ी थी क्योंकि उनकी बेटी अब जि लाधि कारी बननेवाली थी l तजे बहादरु सि हं को भी अब

आपत्ति नहीं थी l इस प्रकार सेदोनों का वि वाह बहुत अच्छी तरह सेसपं न्न हो गया l और सत्य प्रकाश के शब्दों में

कहानी क़ि स्मत की परूी हो चकु ी थी l


By Ramasray Prasad Baranwal




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