top of page
Noted Nest

और बोले हुआ है करप्शन

By Virendra Kumar



जो मुल्क था सोने का चिड़िया

इतिहास गवाह जिसका शोषण

पत्थर का एक टुकड़ा सा छोड़ा

मर - मर के हुआ फिर इसका जतन

जिस देश का सपना देखा था

अंग्रेजों के जाने के बाद

स्वार्थ भावना के चंगुल में

हो गया वो सब कुछ बर्बाद

ऐसे हालत ना आए कभी

इससे गांधी, नेहरू भी डरते रहे

आज पैसों के नीचे दब गईं जानें

नोट बटोरे जा रहे बिन शब्द कहे

सुई से लेके जहाज तक

भ्रष्टाचार ने सबको छुआ

अब हर एक दवा ने ली माफी

फीकी पड़ गई हर एक दुआ

तब सत्ताधारी लुटेरे थे

वो आज भी वही लुटेरे हैं

बदला जो कल और आज में है

फिदरत वो तेरे मेरे हैं

जिस मुल्क पे लोग कुर्बान हुए

आज वो मुल्क अकेला है

कल खून की नदियां बहती थीं

आज लूट - पाट का मेला है

तू गलत को गलत बताता है

बस दूजे को समझाने को

और उसको खुद अपनाता है

सब भोग - विलास कमाने को

सब ने ही की चोरी खुल कर

टुकड़ों में सबने खाया वतन

अपना टुकड़ा फिर भूल गए

और बोले हुआ है करप्शन

तुम सुधरो फिर जग सुधरेगा

वरना ये मुल्क भी हुआ खतम

पहले तुम खुद ना करप्ट बनो

तभी मिट पाएगा करप्शन l


By Virendra Kumar



2 views0 comments

Recent Posts

See All

Rain Drops

By Farinu Rain O Rain  As your drops met my eyes  You remind my past time Sitting in my couch  I see you fall from the sky  Your...

Clothes

By Snigdha Synchronizing with the current scenario of the society I've written this piece for every woman who faces these horrors every...

コメント


bottom of page