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एहसासों पर सवाल

By Punam Agarwal




ग़म भरे जज्बात, शब्दो में पिरो कर

जो लिख दिए हमने

तो लोगों ने कहा , क्यों इतना रोते हो 

जो खुशी के एहसासों को

कागज पर उतारा तो

लोगों ने कहा , आजकल काफी खुश रहते हो 

प्यार के एहसासों को 

जो अल्फाजों में सजाया तो

लोगो ने पूछा, क्या किसी से प्यार करते हो 

जो मोहब्बत की जुदाई का दर्द

लिखावट में दर्शाया तो

लोगो ने पूछा , क्या प्यार में धोखा खाए हो 

इन सवालों से घबराकर 

कई बार लिखने से कतराते है

अपने शब्दों की गूंज को 

अपने अंदर ही छिपाते हैं 

हर शब्द पर जो उठते हैं सवाल 

इन सवालों का बस एक ही जवाब 

हम लिखने वालों को महसूस होते है

दूसरों के भी जज्बात 

जो भी आस पास दिखता है 

हम शब्दों में संजोते हैं 

दूसरों के दर्द को भी 

खुद में महसूस कर 

हम अल्फाजों में पिरोते हैं 

जरूरी नहीं प्यार करके ही प्यार को समझे

समझने वाले तो हवा के झोंके में भी 

प्यार को महसूस कर लेते हैं 

जो हर जज्बात को , प्रकृति के हर एहसास को

सूरज की धूप हो या चांद की शीतलता 

तूफानों का शोर हो या नदियों की चंचलता

 खुद में महसूस करते है

वही तो उन्हें कागज पर उतार 

कविता का स्वरूप देते हैं।

जरूरी नहीं वो जज्बात उनके अपने हो

वो एहसास उनके अपने हो 

बस दिल में उन्हें महसूस करने की शिद्दत होती है

और शब्दों में ढालने की चाहत हो ।

शायद ऐसे लोगों को ही लेखक या कवि कहते हैं।

तो बंद करो ये सवाल और दो उनके इन एहसासों को मान

न रोको उन्हें इन सवालों से

लिखने दो चाहे जो हो जज्बात ।



By Punam Agarwal



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