By Ajay Yadav
कई वर्षों से मैंने उसे बस एक कक्ष में देखा है।
बहुत साधारण ढंग से कई मुश्किल काम को करते देखा है।
कहती है, “तू मेरा हिस्सा है”,
वह मेरे लिए मुंह से निकला पहला शब्द है।
लेकिन अब मुझे वो किसी चिड़िया सी नजर आती है।
यह कक्ष, अब मुझे एक पिंजड़ा सा नजर आता है।
अब मुझे उसके हाथों में सोने की बेड़ियां दिखती हैं, कंगन नहीं।
उसके हर किस्से में एक घर आता है
जिसे अपना कहते कहते वह थम जाती है।
जहां वह उड़ना सीखती थी, वहां भी एक कक्ष था।
बढ़ते वक्त के साथ उनके चेहरे पर अब कुछ रेखाएं नजर आने लगी हैं।
इन रेखाओं के बीच, कई चिंताएं हैं।
एक रेखा पर मुझे मेरा नाम नजर आता है।
कुछ कहना है उससे, मगर कभी कह नहीं पाता।
तेरा वात्सल्य देख मुझे तेरी कोख से फिर से जन्म लेने का मन करता है।
जब तंग करती है ये दुनिया तो मन करता है
जा कर छिप बैठूं तेरी कोख में।
मेरे आसपास तेरी मौजूदगी मुझे सुरक्षित महसूस कराती है।
बस एक पिंजड़े में तेरा चिड़िया बने रहना मुझे खलता है।
तू योग्य है, बस दुनिया को पता नहीं।
क्योंकि तेरी योग्यता की कोई किताब नहीं।
तू खुद में एक दुनिया है।
ये पिंजड़ा तेरा दायरा नहीं।
तू मात्र एक चिड़िया नहीं।
By Ajay Yadav
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