By Dr. Vibhav Saxena
जीवन में सफलता के लिए आत्मविश्वास उतना ही आवश्यक है, जितना मानव के लिए ऑक्सीजन तथा मछली के लिए पानी। बिना आत्मविश्वास के व्यक्ति सफलता की डगर पर कदम बढ़ा ही नहीं सकता। आत्मविश्वास वह ऊर्जा है, जो सफलता को राह में आने वाली अड़चनो, कठिनाइयो एवं परेशानियों से मुकाबला करने के लिए व्यक्ति को साहस प्रदान करती है।
वर्तमान समय में अगर हमें कुछ पाना है, किसी भी क्षेत्र में कुछ करके दिखाना है, जीवन की खुशी से जीना है, तो इन सबके लिए आत्मविश्वास का होना परम आवश्यक है। आत्मविश्वास में वह शक्ति है जिसके माध्यम से हम कुछ भी कर सकते हैं। आत्मविश्वास से हमारी संकल्प शक्ति बढ़ती है और संकल्प शक्ति से बढ़ती है हमारी आत्मिक शक्ति।
इमर्सन का कथन है— "संसार के सारे युद्धों में इतने लोग नहीं हारते, जितने कि सिर्फ घबराहट से।" अतः अपने ऊपर विश्वास रखकर ही आप दुनिया में बड़े से बड़ा काम सहज ही कर सकते हैं और अपना जीवन सफल बना सकते हैं। मधुमक्खो कण-कण से ही शहद इकट्ठा करती है। उसे कहीं से इसका भंडार नहीं मिलता। उसके छत्ते में भरा शहद उसके आत्मविश्वास और कठिन परिश्रम का ही परिणाम है।
आत्मविश्वास सफलता का मूल मंत्र है। यदि आप सफल होना चाहते हैं तो सर्वप्रथम आत्मविश्वास जरूरी है आधी जंग आत्मविश्वास से जीती जाती है। आत्मविश्वास में इतनी शक्ति है कि जिससे रहते मानव हजारों मुसीबतों का सामना कर सकता है। महान कार्य को पूरा करने के लिए आत्मविश्वास बहुत जरूरी होता है। आत्मविश्वास की कमी वाला इंसान नकारात्मक सोचने लगता है इसकी वजह से जिन्दगी में आई छोटी-छोटी परेशानियों से भी वह लड़ नहीं पाता। खुद पर विश्वास की कमी हमें अंदर से खोखला बनाती है। इसीलिए खुद पर विश्वास करना सबसे अहम चीज होती है। हमें स्वयं के महत्त्व को जानना चाहिए। इसान जन्म से आत्मविश्वास लेकर पैदा नहीं होता, हमारा स्वयं का व्यक्तिव, मन, मस्तिष्क व जीवन को प्रभावित करने वाले कारक हो हमारे आत्मविश्वास को घटाने और बढ़ाने का काम करते हैं।
जीवन में आत्मविश्वास बेहद अहम है। आत्म शब्द आत्मा की शक्ति को परिलक्षित करता है। यह आत्म ही आत्मा का पर्याय है। आत्मा की शक्ति के निकलते ही जीवन समाप्त हो जाता है। प्राय: व्यक्ति में अधीरता बहुत जल्द व्याप्त होती है जो जीवंतता के मार्ग में बाधक है, जबकि धैर्य सफलता की सबसे बड़ी कुंजी है। आत्मविश्वास सबसे पहले हमें विवेक प्रदान करता है।
आत्म के साथ जो विश्वास शब्द का मेल है, वह हमें चुनौतियों से जूझने की ताकत देता है और लक्ष्य के पथ पर चलने का मार्ग प्रशस्त करता है। विश्वास है तो बड़ा साधारण शब्द, लेकिन इसका जो मानक है, वह ब्रह्म से लेकर मानव में देखा जाता है। अगर हमारा अपने पर विश्वास न रहे तो हम अपने परिवार के साथ-साथ समाज के लिए भी निष्प्रयोज्य हो जाएंगे। कमजोर आत्मबल प्राय: घातक बन जाता है और डिप्रेशन जैसी बीमारी से ग्रस्त कर देता है। त्रेता युग में भगवान राम अपने इसी आत्मबल से रावण जैसे शक्तिशाली शख्स को पराजित करते हैं। गोस्वामी तुलसीदास कहते हैं कि आत्मबल के लिए भौतिक साधनों का भंडार जरूरी नहीं। आत्मविश्वास हमारी पूंजी है। यह पूंजी कभी न खत्म होने वाली पूंजी है। एक बार बैंक की पूंजी, परिवार की पूंजी और समाज की पूंजी खत्म हो सकती है, लेकिन जिसके पास यह पूंजी संचित है, वह पराजित नहीं सकता है।
आत्मविश्वास (self-confidence) वस्तुतः एक मानसिक एवं आध्यात्मिक शक्ति है। आत्मविश्वास से ही विचारों की स्वाधीनता प्राप्त होती है और इसके कारण ही महान कार्यों के सम्पादन में सरलता और सफलता मिलती है। इसी के द्वारा आत्मरक्षा होती है। जो व्यक्ति आत्मविश्वास से ओत-प्रोत है, उसे अपने भविष्य के प्रति किसी प्रकार की चिन्ता नहीं रहती। उसे कोई चिन्ता नहीं सताती। दूसरे व्यक्ति जिन सन्देहों और शंकाओं से दबे रहते हैं, वह उनसे सदैव मुक्त रहता है। यह प्राणी की आंतरिक भावना है। इसके बिना जीवन में सफल होना अनिश्चित है।
विद्वानों की मानें तो जिस व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी होती है, वो चाहें कितना ही प्रतिभाशाली क्यों न हो, सफलता उससे दूर ही रहती है। वहीं जो आत्मविश्वास से लबरेज रहता है, उसके लिए कोई भी मंजिल दूर नहीं होती है। इसलिए आत्मविश्वास को जीवन की सफलता में सबसे महत्वपूर्ण माना गया है।
निष्कर्षतः हम यह कह सकते हैं कि जीवन में सफलता के लिए आत्मविश्वास अत्यंत आवश्यक है।
By Dr. Vibhav Saxena
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