top of page
Noted Nest

आखिर कब तक ?

By Pradeep Yadav



कब तक यूँ ही अंधेरों में डरती रहेंगी,

अपने हक़ की राहों में सिसकती रहेंगी?

कब तक ये ज़ुल्म सहेंगी बेटियाँ,

कब तक घुट-घुट कर जीएंगी वे सितारियाँ?


2012 की वो दर्द भरी रात कौन भूल पाया,

जब एक नारी ने साहस से हर पीड़ा को अपनाया।

13 दिन तक मौत से संघर्ष में वो डटी रही,

फिर भी न्याय की राह 8 साल लंबी रही।


आज फिर से वही मंजर दोहराया गया,

सिर्फ़ नाम और जगह बदलाया गया।

कल वो पकड़े जाएंगे, सजा भी मिलेगी,

पर फिर किसी और के साथ वही कहानी चलेगी।


आख़िर कब तक नारी यूँ चुप रहकर सहती रहेगी,

कब तक इंसाफ़ की मशाल जलती-बुझती रहेगी?


78 वर्षों की आज़ादी का जश्न मनाया,

पर उनकी आज़ादी का संदेश कहाँ पाया?

जो डर के साए में जीने को मजबूर हैं,

जिनकी उड़ान को समाज ने खुद नासूर किया।


आज की नारी कंधे से कंधा मिलाकर चलती है,

फिर भी डर के साए में हर कदम धरती है।

कब होगा वो दिन जब नारी बेखौफ होगी,

कब उसकी आज़ादी सच्ची और रोशन होगी?


अब समय है बदलाव का, जागृति का,

हर नारी की रक्षा, उसकी सुरक्षा का।

तभी तो सच्चा आज़ाद ये देश कहलाएगा,

और हर दिल निर्भय होकर मुस्कुराएगा


By Pradeep Yadav



0 views0 comments

Recent Posts

See All

Dance Of Divine Devotion

By Ankitha D Tagline : “Sacred connection of destined souls in Desire, Devotion and Dance”.  Softly fades the day’s last light,  On ocean...

The Last Potrait of Us

By Simran Goel When I unveiled my truth, You held me close, no fear, no ruth. Burdens erased, shadows fled, Your love claimed the words...

Life

By Vyshnavi Mandhadapu Life is a canvas, and we are the brushstrokes that color its expanse Each sunrise gifts us a blank page, inviting...

Comments


bottom of page