top of page
Noted Nest

असफलता से सीखकर ही सफलता मिलती है

By Dr. Vibhav Saxena


प्रत्येक मनुष्य अपने जीवन में उन्नति के शिखर पर पहुंचने का सपना देखता है और उसने पूरा करने का भरसक प्रयास करता है। हर कोई चाहता है कि उसके सपनों अथवा कल्पना के संसार में दिखाई देने वाली वस्तुएं उसके पास हों। मनचाहे वस्त्र, भोजन, घर, वाहन तथा अन्य सुविधाजनक वस्तुओं की इच्छा हम में से अधिकांश व्यक्ति रखते हैं किंतु यह भी एक कड़वा सत्य है कि जीवन में प्रत्येक व्यक्ति को सब कुछ नहीं मिलता। समाज में जो व्यक्ति अपने निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त कर आगे बढ़ जाता है, उसे सभी सम्मान की दृष्टि से देखते हैं। ऐसे लोगों को हम सफल मनुष्य की श्रेणी में रखते हैं लेकिन निरंतर प्रयासों के बाद भी यदि कोई व्यक्ति अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाता तो समाज उसे असफल मानता है। सार यही है कि इस संसार में सफलता ही व्यक्ति को सम्मान दिलाती है और असफल व्यक्ति को समाज सम्मान की दृष्टि से नहीं देखता।


जब हम सफलता की बात करते हैं तो उसके साथ ही असफलता का डर भी बीच में प्रकट हो जाता है। हम कितना भी आशान्वित होकर कार्य करने के बारे में सोचें किंतु कहीं न कहीं असफल होने की बात मन में आ ही जाती है। यह तो निश्चित है कि सफलता की राह सरल नहीं है, उसमें अनेक प्रकार की बाधाएँ आती हैं। ये बाधाएँ कभी व्यक्तिगत, कभी पारिवारिक तो कभी सामाजिक या आर्थिक हो सकती हैं। यदि हमें सफल होना है तो इन बाधाओं से पार पाना होगा। ऐसे में कई बार यह होता है कि हम बाधाओं का सामना करने से पहले ही डर जाते हैं और अपने लक्ष्य की प्राप्ति से पहले ही यह डर हमारे मन पर हावी हो जाता है। इसी प्रकार किसी कार्य को कुशलता पूर्वक संपन्न करने में स्वयं को सक्षम न मानने का भय भी हमें घेर लेता है। कभी-कभी नकारात्मक लोगों के विचार अथवा  कुछ व्यक्तियों के असफल होने के किस्से भी मन में घर कर जाते हैं। ऐसे ही अन्य कई कारणों से भी हम प्रयास किए बिना ही हार मान लेते हैं अथवा भय युक्त वातावरण का निर्माण कर लेते हैं जिसके कारण अनेक प्रयासों के बाद भी सफलता दूर की कौड़ी बन जाती है और इसकी परिणति असफलता के रूप में सामने आती है। 


अब प्रश्न यह उठता है कि सफलता कैसे प्राप्त की जाए? सफलता पाने के लिए सबसे पहले हमें असफलता के डर पर विजय प्राप्त करना अनिवार्य है। साथ ही यह समझना भी आवश्यक है कि सफलता एवं असफलता मानव जीवन के दो तत्व हैं और असफल होने का यह अर्थ कदापि नहीं है कि हम आगे भी सफल नहीं हो सकते। असफल होने के डर को पालने से जीवन में सफलता नहीं मिलती और न ही कोई अन्य व्यक्ति आपके स्थान पर कार्य करके आपको सफलता दिला सकता है।


जीवन में आपको क्या बनना है, कहाँ जाना है, इन सबका निश्चय करना ही वह कदम है जो आपको सफलता की सीढ़ी तक पहुंचाता है। अपने लक्ष्य का निर्धारण करने के बाद दूसरा चरण है ईमानदारी और उत्साह। कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता, सभी कार्य सम्मानजनक होते हैं। अगर कुछ वाकई बड़ा होता है तो वह है अपने कार्य को पूरे समर्पण भाव से करना। सफलता प्राप्त करने के लिए जो सबसे अधिक मूल्यवान है, वह है- समय। गुजरा हुआ वक्त कभी वापस नहीं आता और समय का दुरुपयोग आपको सफलता की दौड़ से बाहर कर देता है। इतिहास साक्षी है कि जिन्होंने भी समय का सदुपयोग किया है,सफलता हमेशा उनके क़दमों में रही है।


दृढ़ता और लगातार प्रयास के साथ किया गया श्रम आपको सफलता की ओर ले जाने में मदद करता है।

एक सफल व्यक्ति कभी भी अनिश्चित नहीं होता और उसके आत्मसम्मान में कभी भी कमी नहीं आती। सफल व्यक्ति हमेशा अच्छी आदतों और अच्छे संस्कारों को अपनाता है। वह हमेशा श्रम की गरिमा में विश्वास करता है। निरंतर अभ्यास करता है। इस प्रकार सफलता हमारे मजबूत इरादों, कठिन परिश्रम, साहस, लगन, समय के सदुपयोग और आत्मविश्वास के बल पर ही मिल सकती है। हमारा सकारात्मक दृष्टिकोण हमारी सबसे बड़ी ताकत है और चुनौतियों का सामना करने की शक्ति हमारी पूंजी। यदि हम इन शस्त्रों के साथ अपने लक्ष्य की ओर लगातार बढ़ते रहें तो सफलता अवश्य प्राप्त कर सकेंगे।


जीवन में प्रत्येक व्यक्ति सफलता प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयास करता है और अपने सफल एवं सुखद जीवन की कल्पना करता है किंतु यह भी एक सर्वमान्य सत्य है कि हर व्यक्ति जीवन में कभी न कभी तो असफल जरूर होता है। आप इतिहास से कुछ महान वैज्ञानिक, लेखक, उद्यमी, खिलाड़ी, अभिनेता आदि का नाम याद कीजिए और उनके बारे में पढ़िए। शायद ही कोई ऐसा महान व्यक्ति मिलेगा जिसने अपने जीवन में असफलता का सामना न किया हो। असफल होने पर सभी को बहुत कष्ट होता है और ऐसा लगता है कि हमारी मेहनत का परिणाम हमें क्यों नहीं मिला, क्या कमी रह गई थी, अगली बार प्रयास करना सही होगा क्या, क्या मैं हार मान लूँ या कुछ और करूं, जैसे विचार निरंतर हमारे मन मस्तिष्क में चलते रहते हैं और हम इन सवालों में ही उलझ कर रह जाते हैं। ऐसे में यदि हम प्रयास करना छोड़ दें तो कभी सफल नहीं हो सकते।


यहाँ यह समझना भी आवश्यक है कि यदि हम अपने प्रयास में विफल होते हैं तो इसका अर्थ यह है कि हमारे द्वारा किये गए श्रम में कुछ कमी रह गयी है और अगर हम कुछ प्रयासों के बाद हार जाते हैं या फिर निराश हो जाते हैं तथा दोबारा कोशिश नहीं करते हैं तो हम कभी भी सफलता के पायदान पर नहीं पहुँच पाएंगे। सफल होने के लिए अपनी गलतियों और अनुभवों से कुछ सीखना चाहिए। कभी भी अपने भाग्य को दोष न दें और सही समय पर सही निर्णय लें। हमें एक बार फिर से कोशिश करनी चाहिये। पिछली हार से कुछ सीखना चाहिए न कि हार मान लेना चाहिए। अगर हम ऐसा करते हैं तो इस बार किया गया प्रयास कभी भी व्यर्थ नहीं जाएगा और हम सफलता की ऊंचाइयों को छू लेंगे।


वास्तव में जब हम असफल होते हैं तो और बेहतर तरीके से जान पाते हैं कि हम जीवन में क्या चाहते हैं और क्यों चाहते हैं? अगर हमने असफलता का सामना किया है तो हमें स्वयं पर विश्वास करने की आवश्यकता है। ऐसा भी तो संभव है कि असफलता एक बुरा अंत नहीं बल्कि एक अच्छी शुरुआत बन जाए। वस्तुतः यदि हमें जीवन में हर लक्ष्य आसानी से मिलने लगेगा तो हम अभिमानी बन जाएंगे और स्वयं को संसार में सबसे सर्वश्रेष्ठ समझने लगेंगे। साथ ही जीवन में असफल हुए बिना हम संभवतः उतने श्रेष्ठ व्यक्ति नहीं बन पाएंगे और हमारी सफलता की सराहना भी कम लोग ही करेंगे।


अब यदि असफलता से सीखने की बात की जाए तो हमें अपनी असफलता के कारणों पर भी विचार करना आवश्यक है। असफलता का डर तो सफलता के मार्ग में बाधक है ही, उसके साथ-साथ समाज में नकारात्मक लोग, झूठे प्रशंसक, हमारे भीतर का अहंकार, क्रोध, ईर्ष्या, द्वेष, चिंता, निर्णय लेने में विलंब, तनाव, आलस, निराशा का भाव, नैतिकता का ह्रास, चारित्रिक पतन, बिना सोचे समझे निर्णय लेना, हीन भावना तथा इच्छाशक्ति का अभाव आदि कारणों से भी सफलता प्राप्त करना असंभव होता जाता है। ऐसे में यह आवश्यक है कि हम अपनी असफलता के कारणों पर विचार करें और दृढ़ संकल्प लेकर उनका समाधान करते हुए सफलता के मार्ग पर कदम बढायें।

इस प्रकार अपनी असफलता से सीखते हुए आगे बढ़ने पर हमारी सफलता का मार्ग अवश्य प्रशस्त होगा।


अपनी असफलता से सीखकर सफलता प्राप्त करते हुए समाज, राष्ट्र और विश्व में सफलता का कीर्तिमान स्थापित करने वाले व्यक्तियों से भी हमें प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। हेनरी फोर्ड जो विश्वप्रसिद्ध फोर्ड मोटर कंपनी के मालिक हैं, ने फोर्ड कंपनी की स्थापना से पूर्व पांच व्यवसायों में असफलता का मुँह देखा था। कोई और होता तो पांच बार अलग-अलग व्यवसायों में असफल होने और कर्ज में डूबने के कारण टूट जाता लेकिन फोर्ड ने ऐसा नहीं किया और आज वह इतनी बड़ी कंपनी के मालिक हैं।


असफलता से सीखकर सफलता प्राप्त करने का सबसे बड़ा उदाहरण थामस अल्वा एडिसन हैं जो 1000 असफल प्रयोगों के बाद लाइट बल्ब बनाकर अमर हो गए। इतना ही नहीं, अल्बर्ट आइनस्टाइन जो 4 साल की उम्र तक कुछ बोल नहीं पाते थे और 7 साल की उम्र तक निरक्षर रहे, लोग उनको दिमागी रूप से कमजोर मानते थे लेकिन अपने सिद्धांतों के बल पर वह दुनिया के सबसे बड़े वैज्ञानिक बने। अब जरा सोचिए कि यदि हेनरी फोर्ड पांच व्यवसायों में असफल होने के बाद निराश होकर बैठ जाते, या एडिसन इतने अधिक असफल प्रयोगों के बाद आशा छोड़ देते और आइंस्टाइन भी खुद को दिमागी रूप से कमजोर मान कर बैठ जाते तो क्या होता? ऐसी स्थिति में निश्चित रूप से हम बहुत-सी महान प्रतिभाओं और अविष्कारों से अंजान ही रह जाते।


हमने अपने बचपन में सफलता और असफलता से संबंधित कई प्रेरणादायक कहानियां सुनी हैं, जैसे- कछुआ और खरगोश की, चींटी की। खरगोश के तेज दौड़ने की क्षमता के बावजूद भी कछुए ने हार नहीं मानी और अंत में वह अपनी मेहनत और लगन के बल पर खरगोश से भी आगे निकल गया। इसी प्रकार चींटी पहाड़ पर चढ़ने की लगातार कोशिश करती है और सावधानी से जंग जीत जाती है। इन सबसे यही सीख मिलती है कि हमें तब तक कोशिश करनी चाहिए जब तक हम सफल नहीं हो जाते। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि आप धीरे चल रहे हो या तेज, बस अगर आप निरंतर कोशिश कर रहे हो तो कोई भी कारण आपके रास्ते का अवरोध नहीं बन सकता है।


देश-विदेश के महापुरुषों, उद्योगपतियों, राजनेताओं, समाजसेवियों तथा अन्य विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाले व्यक्तियों की सफलता का मूल कारण यही रहा है कि उन्होंने कभी भी असफलता के डर को स्वयं पर विजय प्राप्त नहीं होने दी तथा असफल होने पर भी अपनी कमियाँ ढूंढ कर उन्हें दूर करते हुए सफलता का प्रयास किया और अंततः सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित किए।


हमेशा इस बात को ध्‍यान में रखें कि असफलता आपको सफल होने के हज़ारों रास्ते दिखाती है। हर सफल आदमी कभी न कभी असफलता का सामना कर चुका होता है। कहा भी जाता है कि यदि आपने ज़िंदगी में कभी असफलता नहीं देखी तो समझिए कि आपने सही मायने में सफलता नहीं देखी। इसलिए असफलता सफलता से कहीं अधिक महत्व रखती है। किसी महापुरुष ने ठीक ही कहा है, 'जीतने वाले कभी हार नहीं मानते और हार मानने वाले कभी जीत नहीं सकते।' वास्तव में प्रत्येक असफलता हमें कुछ न कुछ अवश्य सिखाती है, इसलिए असफल होने के भय से हमें अपने लक्ष्य से पीछे नहीं हटना चाहिए और यह ध्यान रखना चाहिए कि असफलता ही हमें सफलता का मार्ग दिखाती है। सुप्रसिद्ध शायर जावेद अख्तर के शब्दों में-

"क्यों डरें कि जिंदगी में क्या होगा,

हर वक्त क्यों सोचें कि बुरा होगा?

बढ़ते रहें मंजिलों की ओर हम,

कुछ ना मिला तो क्या हुआ,

तजुर्बा तो एक नया होगा।।"


हम अपने आसपास देखें तो यह पाएंगे कि इस संसार में पशु-पक्षी भी असफल होने के कारण लक्ष्य से पीछे नहीं हटते, हम तो फिर भी मनुष्य हैं जिसे ईश्वर की सर्वोत्तम कृति की संज्ञा दी जाती है। विद्वान भी असफलता को सफलता की सीढ़ी मानकर निरंतर प्रयास करने की शिक्षा देते हैं। हमें यह समझना होगा कि असफलता से शिक्षा प्राप्त करने से ही सफलता मिल सकती है जो सफलता के मार्ग की सबसे बड़ी आवश्यकता है। 'कोई भी लक्ष्य बड़ा नहीं, जीता वही जो डरा नहीं' तथा 'डर के आगे जीत है' जैसी कहावतों को मन मस्तिष्क में बैठाकर और असफलता से सीख लेकर हर कठिनाई पर विजय प्राप्त करते हुए हम अवश्य ही सफल हो सकते हैं। इसलिए हम सभी को इन पंक्तियों को ध्यान में रखते हुए जीवन में हर असफलता से सीख लेकर सफलता की ओर निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए--

"असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,

क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो।

जब तक ना हो सफल, नींद चैन को त्यागो तुम,

संघर्ष का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम।

कुछ किए बिना ही जय जयकार नहीं होती,

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।"

—----------------------------------------------

 

By Dr. Vibhav Saxena

5 views0 comments

Recent Posts

See All

Commentaires


bottom of page