top of page

Yadi Pashu - Pakshi Bol Sakte

Noted Nest

By Nisha



शीर्षक: यदि पशु-पक्षी बोल सकते 


क्या आपके मन में यह सवाल कभी आया है कि क्या होता अगर जानवर बोल सकते मुझे तो लगता है कि कितना अच्छा होता अगर जानवर बोल सकते वह अपनी भावना व्यक्त कर सकते हैं कह सकते वह सब जो वह कहना चाहते हैं कहते अपनी पीड़ा, पीड़ा !!! पर भला एक जानवर को क्या पीड़ा हो सकती है ? यही सोचते हैं ना हम क्योंकि हमें तो लगता है की पीड़ा केवल मानव को हो सकती है सोचे भी क्यों ना ऐसा, मानव तो कह देता है की पीड़ा है जानवर कहते नहीं इसलिए कभी लगता नहीं की जानवरों को पीड़ा है पर सोचो एक पल को अगर वह बोल सकते तो क्या-क्या कहते हैं क्या क्या शिकायत करते भगवान से मुझे तो लगता है अगर एक गाय या भैंस बोल सकती तो वह कहती कि अपने स्वार्थ के लिए पालते हो दूध ना मिले तो अपने घर भी ना रखो तुम, उनका कहना गलत भी ना होता सही तो कहते स्वार्थ की भावना से ही तो उन्हें पाला जाता है यदि वह बीमार पड़ जाए तो हम डॉक्टर को इसलिए नहीं बुलाते क्योंकि हम मानवता दिखा रहे हैं बल्कि इसलिए बुलाते हैं क्योंकि वह बीमार पड़ गई तो दूध कैसे मिलेगा करती वह लाखों शिकायतें जो हम शायद सुन भी ना पाते सोचो अगर घोड़े गधे जैसे जानवर 

बोल पाते तो वह क्या कहते हैं वह कहते हैं की पीड़ा होती है उन्हें जब अपने स्वार्थ के लिए हम पीटते हैं दौड़ जितनी है इसलिए घोड़े को मारते हैं इससे घोड़े को क्या फायदा फायदा तो बस मानव का है इनाम तो मानव को मिलेगा जीतने पर और घोड़े को क्या मिलता है मार लोग खुश होते हैं की जीत गए घुड़सवारी और जो मानवता हार गए हो उसके बारे में क्या कहना है? और गधा वह बेचारा तो भोला है उसका नाम लेकर प्राय लोगों का अपमान किया जाता है वह बोल सकता तो कहता हमसे कि जब किसी मंदिर तक जाने की हिम्मत ना हो तो मत जाओ मेरी जान क्यों लेते हो मेरी चोटे तो दिखती नहीं है मेरी बेकार हालत तो दिखती नहीं दिखता है तो बस मंदिर उस भगवान का घर जहां जाने के लिए तुम उस भगवान के द्वारा बनाए गए जानवर को परेशान करके जाते हो वाह धन्य हो तुम प्रणाम है तुम्हारी भक्ति को सोचो जंगली जानवर क्या कहते हैं वह तो मानव को जंगल में आने ही ना देते वह कहते की चिड़ियाघर में नहीं जाना जंगल में ही रहना है हमें, हमें हमारी बस्ती में ही रहने दो तुम रहो अपनी बस्ती में हमें शौक नहीं है तुम्हारे शहर में रहने का हम जंगल में ही आजाद रहना चाहते हैं पक्षी क्या कहते ? पक्षी कहते कि यह पिंजरे तुम्हें ही मुबारक हमें खुला आसमान चाहिए चाहे सोने का पिंजरा भी रख दो उसमें भी रहने से मना कर देंगे हम, क्योंकि भौतिक वस्तुएं बस तुम्हें चाहिए हम पक्षियो को नहीं हमें तो छोटा सा घोंसले ही चाहिए परंतु तुमने तो पेड़ ही कटवा दिए इतने बिजली के खंभे लगवा दिए कि ना जाने कितने पक्षियों की जान चली गई और जो बचे हैं वह भी जल्दी समाप्त हो जाएंगे न जाने कितनी और भी शिकायतें करते हैं ये भगवान से और कहते कि इंसान एक दूसरे को जानवर बोलकर अपमान महसूस कराते हैं हमें खुद शर्म आती है कि इंसानों से तुलना की जाती है हमारी भगवान अगर सवाल पूछते इन जानवरों से की 

दुनिया से ऐसी कौन सी चीज गायब करूं कि तुम खुश हो जाओ तो मेरा यकीन है कि यह जानवर कहते कि मानव को गायब कर दो या मानव की क्रूरता को खैर हमें चिंतित होने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह तो सच है कि जानवर बोल नहीं सकते तो हम सुरक्षित हैं अभी उनकी शिकायतों से पर उनकी आत्मा से निकलने वाली आह!भगवान तक पहुंचती होगी काश एक बार मानव के मन में यह विचार आ जाए कि वह मानवता रखें इन जानवरों के लिए मैंने कहीं पढ़ा था कि अतीत अपने आप को दोहराता जरूर है जिसे हम कहते हैं कर्म का फल यदि उसका ख्याल एक बार आ जाए तो परिवर्तन होना संभव है संभव है 

मानवता का आ जाना .


By Nisha




0 views0 comments

Recent Posts

See All

Lessons I Learned As a Woman In Technology

By Reema M Raj My journey of a decade in IT has evolved from being a manual tester when I started out to now being an automation test...

What Do Women CEOs Bring To The Table?

By Reema M Raj If I were to ask you a question, what qualities must a good leader possess? What answers pop into your head? Does it jump...

Can We Be Our Authentic Selves?

By Reema M Raj Synopsis: Is social media taking away our uniqueness? Our authenticity? What effects has social media had on us? And how...

コメント


bottom of page