By Nidhi Bhatt
तेरीतेरी क़लम जज़्बात बिखरे उन के जो बोल नहीं पाते जो ज़ाहिर नहीं कर सकते क्षतिग्रस्त होते हैं वो भी जो खाव अपने छिपा लेते हैं दर्द से वंचित नहीं मानवी जो विश्व को क़त्ल खाना बना बैठा है क्या नर क्या नारी पशू समान है बात जब पशू के रक्षा की है स्नेह है सभी को बतानें तक जताने में नहीं स्वान प्रेम का स्वांग न रच स्वार्थी स्वान को संवारा सच्चे मन से मनोरंजन न समझ जज़्बात लिए वो भी आए है
By Nidhi Bhatt
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