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Noted Nest

Sochh Sabki Bati Hui Si

By Prashant Sachan



सोच है सबकी बटी हुई सी,

पर हर तरकश में कुछ ना कुछ है,

कोई आगे चलकर खुश है,

कोई पीछे चलकर खुश है।

सेहमी हुई सी डरी हुई सी,

कुछ दिखी कुछ छिपी हुई सी, 

भूली हुई सी बिसरी हुई सी,

वो हसीं वो ख़ुशी 

कोई दिखाकर खुश है,

कोई छिपाकर खुश है।

मन मे कुछ शब्द दबाकर,

किसी से कुछ ना बताकर,

मन मे मन ही को छिपाकर,

कोई सामने आकर खुश है,

कोई परदे के पीछे खुश है।



By Prashant Sachan



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