By Gouranshi Shrivastava
कुछ आधा था कुछ परूा था हमारा इश्क अधरुा था। कुछ मन की बाते मन में रह गई तो क्या ?
पहला तरफा प्यार हमेशा एक तरफा रह जाता है। जो चाहे कर लो प्यार हमेशा अधरुा रह जाता है।
अगर मैं बन भी जाए हंस तो भी वो मेरा जोडा ना होगा । काश ये सफर एक तरफा ना होता तो।
राह कुछ होती और चाह कुछ होती उस शक्स के लिए मै एक नया खिलोना ना होती ।
खिलोना भी टूट जाता है पर मै तो एक इंसान ठहरी।
वो हस्सी वो खशु ,
वो यादे वो वादे वो बीता हुआ कल वो बिता
हुआ पल याद करते हुऐ में इस तरह। यू आगे बड़ी !!
By Gouranshi Shrivastava
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