By Shweta Kumari
वो कल भी बच्चे संभालती थी,
वो आज भी बच्चे संभालती है |
कल मुझे संभालती थी,
आज मेरे अंश को संभालती है |
उम्र उसकी भी हो चली है,
पर सेवानिवृत नहीं हुई |
चेहरे पर झुर्रिया आ गई,
पर वो मुस्कान धूमिल नहीं हुई |
कुछ नया सीखने को,
आज भी उत्साहित रहती है |
क्या नया कर दूं बच्चों के लिए,
इसी उधेड़बुन में दिन भर रहती है |
मन सोचता है बार बार,
कैसे कर लेती हैं इतना कुछ,
मैं तो थक जाती हू एक ही बार |
सच है ऑफिस नहीं जाती थी,
पर २४ घंटे परिवार को समर्पित थी |
झुंझला कर जो कह देते सब,
आप कुछ नही समझती |
घर के बाहर की दुनिया क्या है,
आप कुछ नही जानती |
हर बार नम आंखों से बस मुस्कुरा देती,
वो दर्द आज समझ पाती हूं |
जब इतना कुछ कर के भी,
परिस्थितियों से हार जाती हूं |
हर किसी को सेवानिवृत मिलती है,
पर वो मरते दम तक कार्यरत ही रहती है |
सच है वो मां है ,वो कभी नही थकती है,
हार जाते है इंसान पर मां कभी नही हारती है |
By Shweta Kumari
सच है....मां कभी सेवानिवृत नहीं होती...सुंदर गीत रचना
बहुत उम्दा