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Dec 22, 20241 min read
The Silence Speaks
By Selima Ahmed Siddique By Selima Ahmed Siddique
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Dec 22, 20241 min read
Teri Kalam
By Nidhi Bhatt तेरीतेरी क़लम जज़्बात बिखरे उन के जो बोल नहीं पाते जो ज़ाहिर नहीं कर सकते क्षतिग्रस्त होते हैं वो भी जो खाव अपने छिपा लेते...
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Dec 22, 20241 min read
Love Letter to My Death
By Joyce barbara I am suffocating in this body; Which is unbearable for me , And nobody. My hands are bleeding ; With the red ink. My...
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Dec 22, 20241 min read
I Wondered
By Roopanshi Gupta I wondered what I can't think it's unimaginable but reality looks far away what you imagine before a month I have a...
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Dec 22, 20241 min read
पूरि हूं पर... अधूरी सी।
By Aakrati Garg कितना अजीब है मेरा ये लगना कि मैं पूरी हूं पर खुद में अधूरी हूं। कोई खास वजह नहीं है मेरे पास खुद को अधूरा मानने की। कोई...
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Dec 22, 20241 min read
Feel It Too
By Amirtha Sreya S Everyday Every song I try to create All I write about is you. Everytime I try to close my eyes; Why is it you? And the...
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Dec 22, 20241 min read
मेरी क्या पहचान है?
By Anamika जन्म से जिससे नाता रहा, क्या उससे बताऊँ पहचान मेरी? वो जात, धर्म, वो जन्म भूमि? या उससे जो कमाया है मैंने, मेरे लक्ष्य, प्रयास...
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Dec 22, 20241 min read
Dagabaz Mohabbat
By Shudhanshu Pandey तेरे तर्ज-ए-अमल पर मैंने ऐतबार कर लिया, अपनी हर राज़ को तुझपर बेनकाब कर दिया| मुझे लगा कि मेरी भी कुछ अहमियत है तेरी...
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Dec 22, 20241 min read
।।अधूरी कहानी।।
By Shudhanshu Pandey ये दर्दों गम छुपा कर हम सुकूं से सो नहीं सकते, कभी जो रोना चाहे तो ये आंखे रो नहीं सकते। कभी तुम मांग कर देखो हम...
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Dec 22, 20241 min read
Apnaoge Kya...?
By Shudhanshu Pandey कैसे करूं बयां तेरे इन गुस्ताख निगाहों को, पहली नज़र में जिसने मुझे मुझसे चुरा लिया। पर डरते है इजहार-ए-मोहब्बत से,...
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Dec 22, 20241 min read
अब क्यों लौटे हो?
By Shudhanshu Pandey अब क्यों लौटे हो? जब आंधियो में मुझे बिखेर गए थे तुम। अब क्यों लौटे हो? जब मेरी दुनिया वीरान कर गए थे तुम|...
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Dec 22, 20241 min read
बरसाती बंदे
By Shivansh Soni यह जो बूंदें बरस रही है आसमान से कभी रहती थी यही धरती पर जिन्हें प्रकृति में झूमता देख कर आसमां ने अपने पास बुला...
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Dec 22, 20241 min read
दिल खोजता ठिकाना क्यों है
By Shivansh Soni रूठा मुझे यह जमाना क्यों है ? अपना ही शहर लगता बेगाना क्यों है ? जब मुसाफिर मान चुका हूं खुद को, तो यह दिल खोजता ठिकाना...
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Dec 22, 20241 min read
तो ना कहना
By Shivansh Soni मत देखो इन आंखों में, खो जाओ इन में तो ना कहना। खुशी से वास्ता रखते हो मेरी, गम इन में दिख जाए तो ना कहना। रास्ता इन से...
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